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चावल की नई किस्म से लेकर किफायती वैक्सीन तक, तीन भारतीय वैज्ञानिकों को मिला यह पुरस्कार

प्रोफेसर सी. आनंद रामाकृष्णन, प्रोफेसर अमर्त्य मुखोपाध्याय और प्रोफेसर राघवन वरदराजन को विज्ञान और तकनीक में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए प्रतिष्ठित टाटा ट्रांसफॉर्मेशन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार टाटा संस और न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज के बीच एक सहयोग है।

प्रोफेसर राघवन वरदराजन, अमर्त्य मुखोपाध्याय और प्रोफेसर सी. आनंद रामाकृष्णन / Kamala Murthy

तीन भारतीय वैज्ञानिकों प्रोफेसर सी. आनंद रामाकृष्णन, प्रोफेसर अमर्त्य मुखोपाध्याय और प्रोफेसर राघवन वरदराजन को विज्ञान और तकनीक में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए प्रतिष्ठित टाटा ट्रांसफॉर्मेशन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

यह पुरस्कार टाटा संस और न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज के बीच एक सहयोग है। इसका मकसद समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाले नवीन समाधान विकसित करने वाले भारतीय वैज्ञानिकों को सम्मानित करना है। इस वर्ष के विजेताओं का चयन भारत के 18 राज्यों के 169 आवेदनों में से किया गया था। प्रत्येक विजेता को मुंबई में दिसंबर में होने वाले पुरस्कार समारोह में 240,000 अमेरिकी डॉलर (2 करोड़ रुपये) की पुरस्कार राशि दी जाएगी। 

प्रोफेसर सी. आनंद रामाकृष्णन (CSIR-नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर इंटरडिसिप्लिनरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी) को कुपोषण और डायबिटीज से लड़ने के काम के लिए पुरस्कार मिला है। उनकी टीम ने एक नई तरह की चावल की किस्म तैयार है जो स्वास्थ्य से जुड़े इन समस्याओं को कम करती है। यह फूड सिक्योरिटी और बेहतर पोषण के लिए एक बड़ा कदम है, खासकर समाज के वंचित तबकों के लिए। 

IIT बॉम्बे के प्रोफेसर अमर्त्य मुखोपाध्याय को स्थायी ऊर्जा भंडारण में काम के लिए यह पुरस्कार मिला है। उनकी सोडियम-आयन (Na-ion) बैटरी तकनीक लिथियम-आयन बैटरियों से ज्यादा किफायती और पर्यावरण के अनुकूल है। इस खोज से भारत में ऊर्जा भंडारण के तरीके बदल सकते हैं और लिथियम और कोबाल्ट जैसे कम मिलने वाले और अक्सर गलत तरीके से निकाले जाने वाले पदार्थों पर निर्भरता कम हो सकती है। 

IISc बैंगलोर के प्रोफेसर राघवन वरदराजन को रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (RSV) के लिए एक किफायती वैक्सीन बनाने के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। उनकी टीम ने एडवांस्ड प्रोटीन उत्पादन तकनीकों का इस्तेमाल करके एक ऐसी तकनीक बनाई है जिससे वैक्सीन की लागत 95 प्रतिशत तक कम हो सकती है। हर साल 3 करोड़ से अधिक लोग RSV से प्रभावित होते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर विकासशील देशों के वंचित लोगों पर पड़ता है। यह खोज हेल्थकेयर में एक बड़ी कमी को पूरा करने का वादा करती है।

टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा, 'हमें दूसरे साल के टाटा ट्रांसफॉर्मेशन पुरस्कार के विजेताओं का ऐलान करते हुए बहुत खुशी हो रही है। हम इन भारतीय वैज्ञानिकों सहयोग करके उनके काम को आगे बढ़ाने में मदद करना चाहते हैं। हमारा मकसद है कि भारतीयों की जिंदगी बेहतर हो और भारत दुनिया में एक टॉप इनोवेटर बने। यह पुरस्कार इन वैज्ञानिकों को दुनिया के सामने अपनी तकनीक दिखाने का एक मौका देगा।'

न्यू यॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज के प्रेसिडेंट और सीईओ निकोलस बी. डिरक्स ने कहा, 'टाटा ट्रांसफॉर्मेशन पुरस्कार के विजेताओं को बधाई। इन वैज्ञानिकों ने भारत की कई समस्याओं जैसे कुपोषण और डायबिटीज से लेकर एक RSV वैक्सीन (जो वंचित समूहों में मौतों को कम करती है) और अधिक किफायती और पर्यावरण के लिए बेहतर बैटरियों से भारत की ऊर्जा भंडारण क्षमता बढ़ाने तक, अपनी खोजों से भारत के समाज को मजबूत किया है।'

पुरस्कार देने वाली कमेटी (ज्यूरी) में वैज्ञानिक, डॉक्टर, टेक्नोलॉजिस्ट और इंजीनियर शामिल थे। ये लोग कई कंपनियों, सरकारी संस्थानों और कॉलेजों में काम करते हैं। जैसे Apple, IBM रिसर्च, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बेंगलुरु वगैरह इनमें शामिल हैं।

 

 

 

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