अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आयातित तैयार वाहनों और ऑटो पार्ट्स पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा ने ग्लोबल ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है। हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत पर इसका सीधा प्रभाव ज्यादा नहीं होगा और ये नई व्यापारिक संभावनाओं के द्वार भी खोल सकता है।
भारत की अमेरिकी ऑटो बाजार पर निर्भरता सीमित है। वहीं अमेरिका ग्लोबल ऑटो इंपोर्ट का बड़ा हिस्सा तैयार करता है। भारत का इस मार्केट में योगदान मेक्सिको, कनाडा और यूरोपीय देशों की तुलना में काफी कम है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के अजय श्रीवास्तव के अनुसार, भारत के कुल कार निर्यात का मात्र 0.13 प्रतिशत ही अमेरिका जाता है। ऐसे में नई टैरिफ नीति का भारतीय कार उद्योग पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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इसके बावजूद अमेरिकी टैरिफ का ऑटो पार्ट्स सेक्टर पर कुछ असर दिखाई दे सकता है। 2024 में भारत ने अमेरिका को 2.2 बिलियन डॉलर के ऑटो कंपोनेंट्स एक्सपोर्ट किए थे जो इस क्षेत्र के कुल ग्लोबल एक्सपोर्ट का 29.1 प्रतिशत था। लेकिन चूंकि अमेरिकी टैरिफ सभी निर्यातकों पर लागू होगा, ऐसे में सभी देशों के लिए एक जैसी चुनौती खड़ी होने के आसार हैं।
क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर अनुज सेठी के मुताबिक, इंजन, ट्रांसमिशन, पावरट्रेन और इलेक्ट्रिकल पार्ट्स पर मई 2025 से प्रभावी होने वाले टैरिफ से भारतीय ऑटो पार्ट्स कंपनियों की ऑपरेटिंग मार्जिन 125 से लेकर 150 बेसिस पॉइंट्स तक घट सकता है। भारतीय ऑटो पार्ट्स उद्योग का 20 पर्सेंट रेवेन्यू एक्सपोर्ट से आता है जिसमें से 27 प्रतिशत अमेरिकी बाजार से जुड़ा है।
हालांकि जिन भारतीय कंपनियों के अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं, वे बेहतर क्षमता का इस्तेमाल करके इस झटके को कुछ हद तक संतुलित कर सकती हैं। टाटा मोटर्स और मारुति सुजुकी जैसी कंपनियों पर सीधा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन यूरोप से अमेरिका तक निर्यात करने वाले जगुआर लैंड रोवर जैसे ब्रांड्स को बढ़ी हुई लागत के कारण अपनी रणनीतियों में बदलाव करना पड़ सकता है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में सस्ती लेबर और आयात शुल्क की मौजूदा नीतियां उसे अमेरिकी ऑटो पार्ट्स बाजार में बढ़त दिला सकती हैं। इसलिए भारत को जवाबी टैरिफ लगाने के बजाय दीर्घकालिक अवसरों पर फोकस करना चाहिए।
ट्रंप प्रशासन टैरिफ जैसा कदम अमेरिका के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उद्देश्य से उठा रहा है, लेकिन इससे अमेरिका में महंगाई और वाहनों की कीमतों में वृद्धि देखने को मिल सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की कम निर्भरता और रणनीतिक व्यापार नीति उसे इस वैश्विक व्यापार बदलाव के दौर में आगे बढ़ने का मौका दे सकती है।
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