राष्ट्रपति चुनाव में पहली प्राइमरी डिबेट से पहले इमिग्रेशन को लेकर दोनों तरफ से बयानबाजी तेज हो गई है। बाइडेन-ट्रम्प के बीच ये पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट सीएनएन की तरफ से गुरुवार 27 जून को आयोजित की जाएगी।
एथनिक मीडिया सर्विसेज के पैनलिस्टों ने हाल ही में हेरिटेज फाउंडेशन के सैकड़ों पेज के दस्तावेज़ में दर्ज विस्तृत योजना का विश्लेषण किया और अमेरिकियों, आप्रवासियों और अर्थव्यवस्था पर इसके संभावित प्रभाव का आकलन किया।
उन्होंने याद दिलाया कि डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी पिछली सरकार में इमिग्रेशन सिस्टम में बड़े बदलाव किए थे, जिसकी वजह से सीमा पर कई परिवार बिछड़ गए थे, "मुस्लिम बैन" जैसे हालात बन गए थे, होंडुरांस के लिए टीपीएस और ड्रीमर्स के लिए डीएसीए रद्द कर दिए गए थे। इतना ही नहीं, लीगल इमिग्रेशन और शरण जैसे मसलों पर प्रशासनिक मशीनरी को लगा दिया था। बाद में जब बाइडेन की सरकार आई, तब इनमें से अधिकतर फैसलों को पलट दिया गया।
पैनलिस्टों ने आगाह किया है कि इस बार अगर ट्रम्प फिर से राष्ट्रपति बनने में कामयाब हो गए तो उनके कैंप ने इससे भी कहीं ज्यादा महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार कर रखी है। इनमें बड़े पैमाने पर डिपोर्टेशन व डिटेंशन कैंप बनाना, कानूनी आव्रजन की कई श्रेणियों पर प्रतिबंध और अनडॉक्युमेंटेड लोगों के साथ रहने वाले या पढ़ने वाले नागरिकों को सजा देना शामिल है। उनका दावा है कि ट्रम्प की एक टीम इन कट्टरपंथी सुधारों को लागू करने की फिराक में तैयार बैठी है।
हेरिटेज फाउंडेशन रिपोर्ट और प्रोजेक्ट-2025
हेरिटेज फाउंडेशन ने 887 पेज का दस्तावेज तैयार किया है, जिसका नाम “Mandate for Leadership: The Conservative Promise” है। इसे रिपब्लिकन पार्टी की आगामी योजना का ब्लूप्रिंट माना जा रहा है।
हेरिटेज फाउंडेशन का कहना है कि इसका पहला एडिशन 40 साल पहले आया था। रीगन ने अपनी सरकार का पहला साल पूरा होने से पहले ही इस एडिशन के लगभग आधे आडियाज को लागू कर दिया था। ट्रम्प ने जब सत्ता संभाली थी, तब उन्होंने 2016 के एडिशन की 64 फीसदी नीतियों को लागू कर दिया था।
एथनिक मीडिया सर्विसेज ब्रीफिंग में इमिग्रेशन रिसर्च एनालिटिक्स सेसिलिया एस्थर लाइन ने कहा था कि ट्रम्प अगर इस बार फिर से चुने जाते हैं, तो उनके खेमे ने बेहद महत्वाकांक्षी योजना तैयार कर रखी है। इमिग्रेशन नीति में 175 से अधिक बदलावों की रूपरेखा बना ली गई है। इसका एक मतलब ये है कि केंद्र सरकार और राज्यों के बीच शक्ति का संतुलन खतरे में है।
केंद्र व राज्यों में शक्ति संतुलन
अमेरिका में केंद्र सरकार और राज्यों के बीच सबसे विस्फोटक फ्लैशपॉइंट अवैध आप्रवासियों से जुड़ा विवाद है। अवैध प्रवासियों की बढ़ती आमद से राज्य सरकारें परेशान हैं और इस समस्या के समाधान की मांग कर रही हैं।
आमतौर पर केंद्र सरकार के पास मोटामाटी ये अधिकार हैं कि वे तय कर सके कि कौन सा अवैध प्रवासी अमेरिका में रहेगा, कितने दिनों तक रहेगा, उस पर किस तरह नजर रखी जाएगी और नेचुरालाइजेशन कैसे होगा। संविधान में राज्यों को ऐसी कोई शक्ति नहीं दी गई है। एस्थर लाइन आशंका जताती हैं कि वे केंद्र सरकार के अधिकार कम करने और नौकरशाही की अड़चनें दूर करने जैसे कदम कांग्रेस में जाए बिना अपने कार्यकारी अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए भी उठा सकते हैं।
रिपब्लिकन ट्रम्प का वार
रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प ने ऑल-इन पॉडकास्ट पर कहा है कि वह अमेरिकी कॉलेज से स्नातक करने वालों को ग्रीन कार्ड देंगे ताकि बेहतरीन लोगों को देश में रखा जा सके।
इस पर पुलित्जर पुरस्कार विजेता पत्रकार जोनाथन केपहार्ट ने पीबीएस न्यूज़आवर पर कहा था कि मैं एक मिनट के लिए इस पर विश्वास नहीं कर सकता। न्यूयॉर्क टाइम्स के डेविड ब्रूक्स का मानना है कि ट्रम्प इस पर वाकई अमल कर सकते हैं। इस बार कई मुद्दों पर उनका रुख नरम नजर आ रहा है।
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login