अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की तरफ से नेशनल इंटेलिजेंस की डायरेक्टर पद के लिए नामित तुलसी गबार्ड को सीनेट सुनवाई के दौरान कड़े सवालों का सामना करना पड़ सकता है। उनसे रूस, सीरिया और सर्विलांस से जुड़े सवाल पूछे जा सकते हैं।
43 साल की पूर्व डेमोक्रेट और कॉम्बैट वेटरन तुलसी गबार्ड को लेकर रिपब्लिकन व डेमोक्रेट दोनों ही दलों के सांसदों ने संदेह जताया है। उन्हें खुफिया मामलों का भी कोई अनुभव नहीं है। अगर उनकी नियुक्ति की पुष्टि हो जाती है तो अमेरिका की सभी 18 खुफिया एजेंसियों की कमान उनके अंडर में होगी।
ट्रम्प ने नवंबर में चुनाव जीतने के तुरंत बाद गबार्ड को नेशनल इंटेलिजेंस का डायरेक्टर बनाने की घोषणा कर दी थी। हालांकि उनके इस फैसले पर काफी हैरानी जताई गई थी। ऐसी चिंताएं जताई जाने लगीं कि ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में विशाल खुफिया समुदाय का राजनीतिकरण किया जा सकता है।
सीनेट की खुफिया मामलों की जिस समिति के सामने तुलसी की पेशी होनी है, उसके रिपब्लिकन चेयरमैन सीनेटर टॉम कॉटन ने सुनवाई शुरू होने से पहले ही गबार्ड के नामांकन का समर्थन कर दिया है। कॉटन ने फॉक्स न्यूज से कहा कि मैं तुलसी गबार्ड का सपोर्ट करता हूं। मैं सीनेट से मंजूरी दिलाने के लिए उनके साथ मिलकर काम कर रहा हूं। मुझे उम्मीद है कि हम अगले चार साल तक उनके साथ मिलकर काम करेंगे।
कमिटी में नौ रिपब्लिकन और आठ डेमोक्रेट सांसद हैं। इसका मतलब ये कि अगर एक भी रिपब्लिकन सांसद वोटिंग से गैरहाजिर रहा तो चेयरमैन कॉटन तुलसी की नियुक्ति की पुष्टि के मामले में पूर्ण सीनेट के पास भेजने का असामान्य कदम उठा सकते हैं।
बता दें कि गबार्ड ने निर्दलीय उम्मीदवार बनने के लिए साल 2022 में डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ दी थी। उन्होंने 2024 में ट्रम्प का सपोर्ट किया और नवंबर की चुनावी जीत से एक महीने पहले ही रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हो गई थीं।
सीनेटरों के मुताबिक, यूक्रेन युद्ध में तुलसी के बयानों को रूस के प्रति सहानुभूति की तरह देखा गया था। इसके अलावा वे सीरिया में अमेरिका के सैन्य हस्तक्षेप के उनके विरोध और रूस समर्थित पूर्व सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद से 2017 में मुलाकात को लेकर सवाल जवाब करना चाहते हैं।
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