ADVERTISEMENTs

राष्ट्रपति की शपथ लेने से पहले ट्रम्प को झटका, 50 लाख डॉलर के जुर्माने का फैसला बरकरार

कोर्ट ने स्तंभकार ई. जीन कैरोल के यौन शोषण के आरोप को खारिज करते हुए उनकी मानहानि पर ये जुर्माना लगाया था।

ट्रम्प 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले हैं। / X @realDonaldTrump

अगले महीने अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे डोनाल्ड ट्रम्प को अदालत से झटका लगा है। मैनहट्टन की फेडरल अपीलीय अदालत ने यौन हमले और मानहानि के मामले में 50 लाख डॉलर का जुर्माना लगाए जाने के फैसले को बरकरार रखा है। 

यह मामला 1996 में मैनहट्टन के बर्गडॉर्फ गुडमैन डिपार्टमेंट स्टोर के ड्रेसिंग रूम में हुई एक घटना से जुड़ा है। स्तंभकार ई. जीन कैरोल ने ट्रम्प पर बलात्कार करने का आरोप लगाया था। ट्रम्प ने अक्टूबर 2022 को ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कैरोल के इस दावे को खारिज किया था। 

मैनहट्टन की संघीय अदालत ने सुनवाई के बाद ट्रम्प को बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया था। हालांकि एले मैगजीन की पूर्व स्तंभकार के यौन उत्पीड़न के जुर्म में 2.02 मिलियन डॉलर और मानहानि के लिए 2.98 मिलियन डॉलर का जुर्माना भरने का आदेश दिया था। 

एक अन्य जूरी ने ट्रम्प को जून 2019 में कैरोल को बदनाम करने और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए 83.3 मिलियन डॉलर का हर्जाना देने का आदेश दिया था। ये मानहानि ट्रम्प ने बलात्कार के आरोपों को खारिज करते हुए की थी।

ट्रम्प ने 83.3 मिलियन डॉलर के फैसले के खिलाफ अपील करते हुए कहा कि वह कैरोल को नहीं जानते थे। वह मेरे टाइप की नहीं थी। उन्होंने अपनी किताब की बिक्री बढ़ाने के लिए बलात्कार का आरोप लगाया था। अब मैनहट्टन में द्वितीय अमेरिकी सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स के तीन जजों के पैनल ने ट्रम्प के खिलाफ आदेश को बरकरार रखा है। 
 
यह फैसला ट्रम्प के 5 नवंबर को चुनाव जीतने के बाद आया है। दरअसल 1997 में पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से फैसला दिया कि राष्ट्रपतियों को उन कार्यों से जुड़े सिविल मामलों में मुकदमे से छूट नहीं है, जो या तो उनके पद संभालने से पहले के हैं या फिर राष्ट्रपति बनने के बाद आधिकारिक कार्यों से अलग हैं। 

ट्रम्प के वकीलों ने दलील दी थी कि 50 लाख डॉलर जुर्माने के फैसले को खारिज किया जाना चाहिए क्योंकि निचली अदालत के जजों को ट्रम्प पर यौन दुराचार का आरोप लगाने वाली दो अन्य महिलाओं की गवाही नहीं सुननी चाहिए थी।

Comments

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

 

 

Video

 

Related