अमेरिका की ट्रांसजेंडर कम्युनिटी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर है। नए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर के मुताबिक, अमेरिकी सेना को 30 दिनों के अंदर ट्रांसजेंडर सैनिकों की पहचान करके उन्हें सेना से हटाने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। ये ऑर्डर ट्रंप के पिछले आदेश का ही विस्तार है, जिसमें उन्होंने ट्रांसजेंडर्स को मिलिट्री सर्विस से बैन करने के निर्देश दिए थे।
ट्रांसजेंडर्स को स्पोर्ट्स, कानूनी मामलों, हेल्थकेयर और एजुकेशन से हटाने के राष्ट्रपति के आदेशों पर एथनिक मीडिया सर्विस ने हाल ही में एक परिचर्चा का आयोजन किया। इस राउंडटेबल में वक्ताओं ने ट्रम्प के आदेशों के प्रभाव, ट्रांसजेंडर्स की जिंदगी पर उसके असर जैसे मसलों पर चर्चा की।
डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद अपनी पहली स्पीच में कहा था कि आज से सिर्फ दो जेंडर ही माने जाएंगे– पुरुष और महिला। उसी दिन उन्होंने बायोलॉजिकल मेल और फीमेल को ही कानूनी पहचान देने वाले ऑर्डर पर दस्तखत कर दिए थे। उन्होंने इस कदम को महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर सही ठहराया था।
विलियम्स इंस्टीट्यूट के मुताबिक, अमेरिका में करीब 16 लाख ट्रांसजेंडर्स हैं। इसके अलावा लगभग 12 लाख लोग नॉन बाइनरी के रूप में पहचान रखते हैं। 50 लाख इंटरसेक्स लोग भी हैं जो ट्रंप की इस पॉलिसी से प्रभावित हो सकते हैं।
ट्रंप के इस फैसले का असर सिर्फ सेना तक सीमित नहीं है। यह खेल, हेल्थकेयर, शिक्षा और लीगल मामलों में भी ट्रांसजेंडर लोगों के हक को प्रभावित करेगा। फरवरी में ट्रंप ने एक और ऑर्डर साइन किया, जिसमें ट्रांसजेंडर महिलाओं को महिला स्पोर्ट्स से बाहर करने की बात थी।
ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट्स का कहना है कि इस तरह के आदेश ट्रांसजेंडर और नॉन बाइनरी लोगों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव को बढ़ावा दे सकते हैं। विलियम्स इंस्टीट्यूट के सीनियर रिसर्चर डॉ. इलान एच. मेयर ने कहा कि ट्रांसजेंडर्स के खिलाफ हिंसा की दर बाकी लोगों की तुलना में पांच गुना अधिक है।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में सोशियो मेडिकल साइंसेज के प्रोफेसर एमिरेट्स रह चुके डॉ. मेयर ने चेतावनी दी कि ऐसे आदेशों से ट्रांसजेंडर्स के खिलाफ भेदभाव और हिंसा की वारदातें बढ़ सकती हैं। ऐसे भेदभाव से ट्रांसजेंडर लोगों में डिप्रेशन, एंग्जायटी और सुसाइड के मामले बढ़ सकते हैं।
पेंटागन के एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि अभी अमेरिकी सेना में करीब 4,200 ट्रांसजेंडर सैनिक हैं। नए आदेश के तहत 26 मार्च तक इनकी पहचान की जाएगी और फिर 30 दिनों के अंदर इन्हें सेना से हटाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
हालांकि इस आदेश के खिलाफ कानूनी लड़ाई भी शुरू हो गई है। अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज एना रेयेस को इस मुकदमे पर फैसला देना है। ट्रंप के इस नए आदेश ने ट्रांसजेंडर्स की पहचान और अधिकारों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। देखना होगा कि कोर्ट में इस पॉलिसी का क्या अंजाम होता है।
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