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ट्रम्प की नीतियों पर सवाल : ग्रीन कार्ड, H-1B वीजा और इमीग्रेशन मसले पर भुटोरिया ने साधा निशाना

भारतीय मूल के अमेरिकी समुदाय नेता अजय भुटोरिया ने ट्रम्प प्रशासन के हालिया फैसलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि ये फैसले अमेरिका में भारतीय-अमेरिकियों समेत कई समुदायों के लिए बेहद नुकसानदेह हैं।

भारतीय-अमेरिकी समुदाय के नेता अजय भुटोरिया। / Image- New India Abroad

भारतीय-अमेरिकी समुदाय के एक बड़े नेता अजय भुटोरिया ने ट्रम्प प्रशासन के हालिया फैसलों पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने इन फैसलों को सबको साथ लेकर चलने और गुड गवर्नेंस के लिए बड़ा झटका बताया है।अजय भुटोरिया ने न्यू इंडिया अब्रॉड को दिए इंटरव्यू में कहा, 'ट्रम्प के फैसले पिछड़ेपन की तरफ हैं। पिछले कुछ दिनों या हफ्तों में हमने उनके कई ऑर्डर्स देखे हैं। ये कई समुदायों को दरकिनार करते हैं। इन समुदायों को बाइडेन सरकार ने अपने काम में बहुत अहमियत दी थी।'

भुटोरिया ने खास तौर पर 'व्हाइट हाउस इनिशिएटिव ऑन एशियन अमेरिकन्स, नेटिव हवाईअन्स, एंड पैसिफिक आइलैंडर्स' को खत्म किए जाने पर रोष जताया। उन्होंने कहा कि इस कदम से राष्ट्रपति तक कम्युनिटी के महत्वपूर्ण मुद्दों को पहुंचाने का सीधा रास्ता बंद हो गया है। इसके अलावा, भुटोरिया ने इमीग्रेशन पॉलिसी में बदलाव और आर्थिक फैसलों की आलोचना की। उनका मानना है कि इनसे लाखों अमेरिकियों, खासकर साउथ एशियन और इंडियन-अमेरिकन कम्युनिटी को नुकसान होगा।

इमीग्रेशन पर बात करते हुए, भुटोरिया ने ग्रीन कार्ड के लिए लंबे इंतजार वाले दस लाख से ज्यादा लोगों की बेचैनी बताई। इनमें से कई लोग दस साल से अधिक समय से अमेरिका में रह रहे हैं। उन्होंने ये भी बताया कि ट्रम्प सरकार के फैसलों से H-1B वीजा धारकों को यात्रा या वीजा रिन्यू कराने में काफी परेशानी हो रही है। 

भुटोरिया ने आगे बताया, 'अगर हम बाइडेन प्रशासन को देखें, तो उनका ध्यान इस पर था कि इन लोगों की जिंदगी कैसे बेहतर किया जाए। ग्रीन कार्ड का बैकलॉग कम करना, H1-B वीजा यहीं अमेरिका में मिलना, EAD को ऑटोमैटिकली 534 दिनों तक रिन्यू करना ताकि लोगों को इंतजार न करना पड़े, या H1 वीजा धारकों के जीवनसाथी को काम करने की इजाजत देना – ये सब अब खतरे में है।'

भुटोरिया ने 6 जनवरी के दंगे में शामिल लोगों को माफी देने के ट्रम्प के फैसले की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इससे न्याय कमजोर होता है और जवाबदेही को लेकर गलत संदेश जाता है। हालांकि भुटोरिया ने कई मुद्दों पर ट्रम्प प्रशासन की आलोचना की, लेकिन उन्होंने कुछ कोशिशों का स्वागत भी किया। खासकर USAID के फंडिंग में जवाबदेही लाने और सरकारी खर्च कम करने की कोशिशों का। भुटोरिया ने कहा, 'मैंने ट्विटर पर देखा कि USAID और दूसरे एजेंसियों की गड़बड़ियां सामने आई हैं और पैसा बर्बाद हुआ है। मैं इस प्रशासन के कुछ कदमों का स्वागत करता हूं जिनसे जवाबदेही बढ़ी है।'

अगर उन्हें मौजूदा प्रशासन को कोई सुझाव देना हो, तो सवाल पर भुटोरिया कहते हैं कि ग्रीन कार्ड पर देश-वार सीमा हटा देनी चाहिए। इससे भारतीय मूल के लोगों को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है।

उनके मुताबिक, 'हर साल 280,000 से ज्यादा भारतीय छात्रों को अमेरिका में पढ़ने के लिए वीजा मिलता है, लेकिन काम के लिए महज 65,000 को ही वीजा मिलता है। इनमें से भी 7000 या उससे कम को ही ग्रीन कार्ड मिल पाता है। ये बहुत बड़ी रुकावट है। इसलिए या तो देश-वार सीमा हटा दी जाए और सबको एक ही पूल में आने दिया जाए – चाहे वे वेनेज़ुएला, बुल्गारिया, ब्राजील या चीन से आ रहे हों। ग्रीन कार्ड के लिए सबके पास बराबर मौका हो। यही सही तरीका है।'

राष्ट्रपति चुनाव में मिली करारी हार के बावजूद भुटोरिया ने डेमोक्रेटिक पार्टी में लगातार जुड़े रहने और अपनी बात रखने की अहमियत बताई। उन्होंने जोर देकर कहा कि समर्थकों को अपने हितों से जुड़ी नीतियों को बनाने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

उन्होंने कहा, 'जरूरी है कि डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक 'डे ऑफ एक्शन' जैसे जन-आंदोलनों में हिस्सा लें। कम्युनिटी को सामूहिक रूप से आगे आकर अपने अहम मुद्दे उठाने चाहिए। हमें जमीनी स्तर पर काम करना होगा और कानूनी लड़ाई लड़नी होगी। हमें लगातार अपनी बात रखनी होगी। ट्रम्प प्रशासन के साथ भी यही करना होगा – लगातार दबाव बनाना ताकि वे मुद्दों को समझें और उन पर कार्रवाई करें। यही हमारा भविष्य है।'

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