विप्रो के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने कहा है कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प का राष्ट्रपति बनना भारत के आईटी सेक्टर के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। ट्रम्प का रुख बिजनेस और ग्रोथ समर्थक रहा है। ये 254 अरब डॉलर की भारतीय टेक सर्विसेज इंडस्ट्री के लिए अच्छी बात है।
भारतीय कंपनियों और निवेशकों की नजर अब ट्रम्प के व्हाइट हाउस लौटने के बाद अपनाई जाने वाली नीतियों पर है। प्रेमजी ने कहा कि ट्रम्प के राष्ट्रपति काल में टैक्स और नियमों में कमी पर बात चल रही है। यह कारोबार और ग्राहकों के खर्च पैटर्न के लिए शुभ संकेत हैं।
प्रेमजी ने कॉरपोरेट टैक्स में संभावित कटौती और व्यापार नियमों में नरमी की ओर इशारा करते हुए कहा कि सरकार अगर कारोबार और ग्रोथ को बढ़ावा देने वाली होती है तो हमारे ग्राहकों को मदद मिलती है। इसका फायदा भारत और दुनिया भर में पार्टनर्स को होता है।
आईटी सेक्टर के लिए यह उम्मीद ऐसे समय आई है, जब लगातार कई तिमाहियों से कठिन हालात से जूझ रहीं आईटी कंपनियों ने आर्थिक चिंताओं और मुद्रास्फीति दबावों की वजह से अपने विवेकाधीन प्रोजेक्टों पर खर्च कम कर दिया है।
केयरएज रेटिंग्स के एक बयान में कहा है कि आउटसोर्सिंग पर अमेरिका की सख्त नीतियों और एच-1बी वर्क वीजा पर पाबंदियों से भारत के आईटी क्षेत्र पर दबाव आ सकता है जो अमेरिकी बाजार पर काफी निर्भर है। भारतीयों को प्रमुख रूप से आईटी सेक्टर में अमेरिका से सबसे अधिक वर्क वीजा मिलते हैं।
जेपी मॉर्गन ने भी हाल ही में उम्मीद जताई थी कि ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल का भारत के आईटी क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। इसकी शुरुआत अमेरिकी कॉर्पोरेट टैक्स दरों में बदलाव से कंपनियों के टेक्नोलोजी पर खर्च में उछाल आने के साथ हो सकती है।
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