अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड का कहना है कि ट्रम्प का 'अमेरिका फर्स्ट' का मतलब 'अकेला अमेरिका' बिल्कुल नहीं है। उन्होंने कहा कि नई सरकार मानती है कि एक ताकतवर अमेरिका अपने दोस्तों और साझेदारों के साथ मिलकर शांति, सुरक्षा और तरक्की के लिए बेहतर काम कर सकता है। America First का मतलब दुनिया से अलग-थलग नहीं, बल्कि अपने हितों की रक्षा करते हुए दुनिया के साथ मिलकर काम करना है।
जर्मनी में हुए म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए तुलसी गबार्ड ने कहा कि दुनिया को मजबूत खुफिया और सुरक्षा पार्टनरशिप की जरूरत है। इन पार्टनरशिप से हमारे देशों और लोगों की आजादी और सुरक्षा सुनिश्चित होगी। शांति की राह भी आसान होगी।
अपनी शपथ ग्रहण के 48 घंटे के अंदर अपने पहले पब्लिक संबोधन में 43 साल की गबार्ड ने बताया कि ट्रम्प ने अपने शपथ ग्रहण भाषण में वादा किया था कि उनकी सबसे बड़ी विरासत शांतिदूत और एकता स्थापित करने वाले की होगी। अभी महज तीन हफ्ते में, हम इस विरासत की नींव देख रहे हैं। उन्होंने कहा, 'बंदी वापस घर आ रहे हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध में हो रही हिंसा को समाप्त करने और परमाणु युद्ध को रोकने पर फोकस कर रहे हैं।'
गबार्ड ने बताया कि ट्रम्प का ध्यान कट्टर इस्लामी आतंकवाद का मुकाबला करने, फेंटेनिल जैसे ड्रग्स के फैलाव को रोकने और मानव तस्करी करने वालों पर कार्रवाई करने पर लगा हुआ है। उन्होंने कार्टेल्स को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया। 1798 के एलियन एनिमीज एक्ट का इस्तेमाल करके देश से विदेशी गिरोहों और अपराधी नेटवर्क को खत्म करने की कोशिश की है। उन्होंने व्यापार व्यवस्था में बदलाव करते हुए निष्पक्षता और पारस्परिकता के सिद्धांतों को लागू करने की बात कही। म्यूनिख में इंटरनेशनल लीडर्स की इस सभा में उन्होंने बताया कि अमेरिका अब बराबर के आर्थिक मंच पर जोर देगा।
तुलसी ने कहा, 'राष्ट्रपति ट्रम्प की नीतियां 'अमेरिका फर्स्ट' पर केंद्रित हैं, लेकिन इसे गलती से 'अमेरिका अकेला' नहीं समझना चाहिए। हम जानते हैं कि एक मजबूत अमेरिका शांति, सुरक्षा और समृद्धि जैसे हमारे साझा हितों के लिए अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ नेतृत्व करने, काम करने और उनका समर्थन करने के लिए बेहतर स्थिति में है। जैसा कि राष्ट्रपति ने दावोस में अपने भाषण में कहा था, अमेरिका में सामान्य समझ बहाल करने का मतलब दुनिया में ताकत, शांति और स्थिरता वापस लाना है।'
गबार्ड ने कहा कि आतंकवाद अभी भी एक बड़ा खतरा है। इसके खिलाफ दुनिया भर में मिलकर काम करने की जरूरत है। हमें आतंकवादी संगठनों को उनके विचारों, नेतृत्व, कमांड स्ट्रक्चर और आर्थिक नेटवर्क को निशाना बनाकर तबाह करना होगा। इसके लिए खुफिया जानकारी शेयर करना, कानून-व्यवस्था की गतिविधियों का समन्वय करना और आतंकवादी समूहों को पैसा पहुंचने से रोकना बेहद जरूरी है।
तुलसी गबार्ड ने कहा, 'रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया से आने वाली चुनौतियों के लिए भी शांति, आजादी और समृद्धि के लिए एकजुट मोर्चा बनाने की जरूरत है। आक्रमण को रोकने और स्थिरता बनाए रखने के लिए, हम उन लोगों के साथ मिलकर काम करने को उत्सुक हैं जिनके हित हमारे जैसे ही हैं।' यह तुलसी गबार्ड का पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय भाषण था। अमेरिका की टॉप खुफिया प्रमुख के रूप में शपथ लेने के कुछ घंटों के अंदर ही उनकी पहली मुलाकात भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई।
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