अमेरिकी सेना में सेवारत एक सिख-अमेरिकी दंत चिकित्सक लेफ्टिनेंट कर्नल तेजदीप सिंह रतन ने अगली पीढ़ी के सिखों से सेना में सेवा करते हुए अपना करिअर बनाने पर विचार करने का आग्रह है। बकौल कर्नल तेजदीप यह उनकी सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
हाल ही में न्यूयॉर्क शहर के टाइम्स स्क्वायर में 'पगड़ी दिवस' समारोह में कर्नल रतन ने सेना में सिखों की बढ़ती स्वीकार्यता के बारे में बात की और भर्ती के लिए शुरुआती अस्वीकृतियों का सामना करने से लेकर पगड़ी और दाढ़ी के साथ पहले सिख सैनिकों में से एक बनने तक की अपनी यात्रा साझा की।
कर्नल ने बताया कि मुझे उस समय अवसर दिया गया था ताकि मैं अपनी पगड़ी और दाढ़ी के साथ बुनियादी प्रशिक्षण कर सकूं। मुझे वह मौका देने के लिए मैं वास्तव में सेना का बहुत आभारी हूं। सेना ने मुझे प्रशिक्षण के लिए जाते और वहां से कामयाब होकर लौटते हुए देखा है। इसके बाद दूसरों के लिए भी दरवाजे खुल गये। इसलिए मैं युवाओं से आग्रह करता हूं कि आप आएं और अमेरिकी सेना में सेवा करें। आप चाहें तो वायु सेना अथवा जल सेना का भी रुख कर सकते हैं क्योंकि अब यहां भी हर किसी के लिए दरवाजे खुल चुके हैं।
पगड़ी दिवस समारोह में सेना भर्ती लेफ्टिनेंट अमरजीत सिंह की टिप्पणियां भी शामिल थीं जिन्होंने लेफ्टिनेंट कर्नल रतन की भावनाओं को दोहराया। लेफ्टिनेंट सिंह ने बताया कि कैसे उनकी सिख परवरिश सेना की सेवा और समर्पण के मूल्यों के साथ पूरी तरह मेल खाती है। उन्होंने अपनी पहचान और दिनचर्या में पगड़ी के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि एक सिख के रूप में बड़े होने के दौरान मुझे निस्वार्थता, सेवा, समर्पण, अनुशासन और अखंडता के मूल्यों को सिखाया गया। यही काफी हद तक हमें संयुक्त राज्य अमेरिका की सेना में मूल्यों के तौर पर सिखाया गया है। इसलिए हमारी परवरिश और जीवन के मूल्य अमेरिकी सेना के मूल्यों से पूरी तरह मेल खाते हैं।
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