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मिशिगन यूनिवर्सिटी ने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के साथ ग्लोबल पार्टनरशिप को किया विस्तार

2016 में शुरू हुए इस कोलेबोरेटिव प्रोग्राम को दूसरी बार रिन्यू किया गया है। ये पार्टनरशिप U-M के ग्लोबल कनेक्शन बनाने के मजबूत इरादे को दिखाता है। इंडियन यूनिवर्सिटीज के साथ U-M के 16 एक्टिव पार्टनरशिप हैं, जिनमें इंजीनियरिंग, मेडिसिन, बिज़नेस और सोशल वर्क जैसे फील्ड्स शामिल हैं। 

मिशिगन यूनिवर्सिटी और मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के स्टूडेंट्स / mage- University of Michigan

मिशिगन यूनिवर्सिटी (U-M) का सोशल वर्क स्कूल, भारत के मद्रास क्रिस्चियन कॉलेज (MCC) के साथ अपने पार्टनरशिप को और मजबूत किया है। 2016 में शुरू हुए इस कोलेबोरेटिव प्रोग्राम को दूसरी बार रिन्यू किया गया है। ये पार्टनरशिप U-M के ग्लोबल कनेक्शन बनाने के मजबूत इरादे को दिखाता है। इंडियन यूनिवर्सिटीज के साथ U-M के 16 एक्टिव पार्टनरशिप हैं, जिनमें इंजीनियरिंग, मेडिसिन, बिज़नेस और सोशल वर्क जैसे फील्ड्स शामिल हैं। 

U-M स्कूल ऑफ सोशल वर्क में ग्लोबल एक्टिविटीज की डायरेक्टर, डॉ. केटी लोपेज ने बताया, 'हम 2016 से मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हमें ये पार्टनरशिप इतनी कामयाब लगी कि हमने इस पांच साल के प्रोग्राम को दो बार आगे बढ़ाया है। हम फैकल्टी और छात्रों का एक्सचेंज करते हैं। साथ मिलकर रिसर्च करते हैं। एक ग्लोबल कोर्स भी चलाते हैं, जिसमें भारत के मुख्य सोशल वर्क मुद्दों पर चर्चा होती है।'

इस साल, इस पार्टनरशिप ने चेन्नई में एक नए फैकल्टी आधारित इंटरनेशनल प्रोग्राम, इनागरल ग्लोबल कोर्स एक्सटेंशन (GCE) के साथ एक नया अध्याय शुरू किया। इस प्रोग्राम में ग्यारह मास्टर ऑफ सोशल वर्क (MSW) के स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया। इस प्रोग्राम का मुख्य फोकस था 'सोशल वर्क के लिए बड़ी चुनौतियां'। जरूरी टॉपिक्स में जाति और रंगभेद से निपटना, स्वास्थ्य सेवा में बराबरी लाना, पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करना और महिलाओं के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए मजबूत संबंधों को बढ़ावा देना शामिल थे। 

MCC के एसोसिएट प्रोफेसर और फील्डवर्क कोऑर्डिनेटर डॉ. बी. प्रिंस सोलोमन देवदास ने इस प्रोग्राम के आपसी फायदों पर जोर दिया। उन्होंने कहा, 'दोनों स्कूलों में एक ही तरह के मूल्यों, पेशेवर रवैये और ग्लोबल एंगेजमेंट को लेकर जुनून है। यही हमारा कनेक्शन है और इसीलिए ये पार्टनरशिप इतनी कामयाब है।'

डॉ. ऐशली क्यूरेटॉन (भावलकर) के नेतृत्व में चलाया गया GCE प्रोग्राम, कड़ी एकेडमिक पढ़ाई और फील्ड में काम करने के अनुभवों को मिलाकर बनाया गया था। स्टूडेंट्स ने चेन्नई जाने से पहले ऐन आर्बर में एक क्रेडिट का प्रिपरेटरी कोर्स किया। भारत पहुंचने के बाद उन्होंने तमिल भाषा सीखी। स्थानीय विशेषज्ञों के लेक्चर सुने। इसके साथ ही फील्ड साइट्स देखीं, जिनमें मानसिक रूप से अक्षम महिलाओं का आश्रय और इरुला ट्राइबल वुमेनज वेलफेयर सोसाइटी शामिल है। 

MSW की छात्रा, केल्ज कजिन्स ने बताया, 'हमारे दिन बहुत लंबे और बेहद प्रभावशाली थे। सुबह हम तमिल सीखते और काबिल स्थानीय विशेषज्ञों के लेक्चर सुनते। दोपहर में हम उन समुदायों और संगठनों को देखने जाते जो जबरदस्त काम कर रहे हैं। खास तौर पर इरुला समुदाय मुझे बहुत पसंद आया, ये दुनिया के सबसे हरे-भरे और टिकाऊ जगहों में से एक था।'

इस प्रोग्राम का समापन एक विदाई डिनर के साथ हुआ, जो भावनात्मक रूप से बहुत यादगार पल था। भारत की यू-एम की MSW छात्रा, श्रेया वच्छानी ने बताया, 'इस कोर्स ने मेरे मन में मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र के प्रति लगाव को और गहरा किया है। ये एक अनोखा अनुभव है जो छात्रों को एक अलग संस्कृति को जानने और साथ ही काम के क्षेत्र में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करने का मौका देता है।'

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