l
भारत की प्राचीन दार्शनिक धरोहर भगवद् गीता और विश्व प्रसिद्ध नाट्य कला ग्रंथ नाट्य शास्त्र को यूनेस्को ने आधिकारिक मान्यता प्रदान की है। इन दोनों महत्त्वपूर्ण ग्रंथों को यूनेस्को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में स्थान दिया गया है। इसकी जानकारी देते हुए भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने खुशी जताई। उन्होंने कहा कि यह भारत की सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिला एक ऐतिहासिक सम्मान है।
इससे पहले भारत के सांस्कृतिक मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोशल मीडिया पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह वैश्विक सम्मान भारत की शाश्वत ज्ञान परंपरा और कलात्मक प्रतिभा का उत्सव है। उन्होंने लिखा, 'ये कालजयी रचनाएं केवल साहित्यिक धरोहर नहीं हैं, बल्कि दार्शनिक और सौंदर्यशास्त्र की ऐसी आधारशिला हैं, जिन्होंने भारत के दृष्टिकोण और हमारे सोचने, महसूस करने, जीने और अभिव्यक्त करने के तरीके को आकार दिया है। अब इस अंतरराष्ट्रीय रजिस्टर में भारत की कुल 14 प्रविष्टियां दर्ज हो चुकी हैं।'
यह भी पढ़ें- भारत के गांवों को मिलेगी सेहत की सौगात, अमेरिका से हो रहा प्रयास
बता दें कि नाट्य शास्त्र, भरत मुनि द्वारा रचित एक प्राचीन ग्रंथ है, जो नाटक, संगीत और नृत्य जैसी प्रदर्शन कलाओं पर आधारित है। वहीं भगवद गीता, भारतीय दर्शन और जीवन मूल्यों का आधार मानी जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने कौरव और पांडवों के बीच हुए कुरुक्षेत्र के युद्ध में गीता का ज्ञान अपने मित्र और पांडव राजकुमार अर्जुन को दिया था।
A proud moment for every Indian across the world!
— Narendra Modi (@narendramodi) April 18, 2025
The inclusion of the Gita and Natyashastra in UNESCO’s Memory of the World Register is a global recognition of our timeless wisdom and rich culture.
The Gita and Natyashastra have nurtured civilisation, and consciousness for… https://t.co/ZPutb5heUT
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रसन्नता जताते हुए इसे हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण बताया। उन्होंने सोशल मीडिया मंच X पर लिखा – 'हर भारतीय के लिए गर्व का पल। भगवद गीता और नाट्य शास्त्र को यूनेस्को की वर्ल्ड रजिस्टर में स्थान मिलना हमारी समृद्ध सांस्कृतिक और बौद्धिक परंपरा की मान्यता है। ये ग्रंथ सदियों से सभ्यता और चेतना का मार्गदर्शन करते आ रहे हैं और आज भी पूरी दुनिया को प्रेरणा देते हैं।'
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login