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बांग्लादेश में हिंसा के खिलाफ USHA के वर्चुअल सम्मेलन में हिंदुओं की रक्षा के लिए उठी आवाज

USHA के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोकुल कुन्नाथ ने शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए बांग्लादेश में चल रही हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, 'हम बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ किए जा रहे अत्याचारों से हैरान और भयभीत हैं। इस नरसंहार पर वैश्विक ध्यान देने की आवश्यकता है।'

17 अगस्त को बंग्लादेश पर एक वर्चुअल ग्लोबल शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। / Courtesy/United States Hindu Alliance

यूनाइटेड स्टेट्स हिंदू अलायंस (USHA) ने 17 अगस्त को बंग्लादेश पर एक वर्चुअल ग्लोबल शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के प्रमुख आध्यात्मिक, राजनीतिक और सामुदायिक नेता शामिल हुए। तीन घंटे का कार्यक्रम इस महीने की शुरुआत में पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर केंद्रित था।

शेख हसीना 6 अगस्त, 2024 को पद से हट गईं और भारत में शरण ली। इसके बाद कट्टरपंथी समूहों द्वारा हिंसा में तेजी आई। हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाने की घटनाएं सामने आईं। हिंदू महिलाओं और युवा लड़कियों के साथ बलात्कार, सैकड़ों लोगों की क्रूर हत्या और हजारों घरों, व्यवसायों और पूजा स्थलों को ध्वस्त कर दिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू आबादी (15 मिलियन) के साथ अन्य अल्पसंख्यक समूहों एक मिलियन बौद्ध और आधा मिलियन ईसाई भी आतंकित हैं।

USHA के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोकुल कुन्नाथ ने शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए बांग्लादेश में चल रही हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, 'हम बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ किए जा रहे अत्याचारों से हैरान और भयभीत हैं। इस नरसंहार पर वैश्विक ध्यान देने की आवश्यकता है।' प्रसिद्ध विद्वानों ने चर्चा में योगदान दिया। इनमें डॉ. सची दस्तीदार, स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क में राजनीति विज्ञान के सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं। इसके अलावा डॉ. एंड्रयू बोस्टोम, इस्लामी इतिहास और गैर-मुस्लिमों पर इसके प्रभाव पर अपने कार्यों के लिए जाने जाने वाले लेखक हैं। दोनों ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ उत्पीड़न और नरसंहार के ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला।

बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों के लिए मानवाधिकार परिषद के संस्थापक और अध्यक्ष, धीमन देब चौधरी ने हिंसा के बारे में ग्राफिक विवरण पेश किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की तथ्यान्वेषी जांच और बांग्लादेश में शांति बहाल करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप का आह्वान किया। चौधरी ने कहा, 'स्थिति बहुत खराब है। और अधिक जान हानि होने से पहले अंतरराष्ट्रीय समुदाय को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है।'

इस आयोजन में आध्यात्मिक नेता भी शामिल थे जिन्होंने हिंदुओं की रक्षा के महत्व और संकट के समय हिंदू पवित्र ग्रंथों द्वारा प्रदान किए जाने वाले मार्गदर्शन पर जोर दिया। इनमें हिंदू धर्म आचार्य सभा के महासचिव स्वामी परमत्मानंद सरस्वती और कुडाली श्रींगेरी पीठ के जगद्गुरु श्री अभिनव शंकर भारती महस्वामी शामिल थे। स्वामी परमत्मानंद ने कहा, 'आचार्य सभा चिंतित है और इन जघन्य कृत्यों की निंदा कर चुकी है। हमने भारत सरकार से बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने का आग्रह किया है।'

विश्व धार्मिक नेताओं की परिषद के महासचिव डॉ. बवा जैन और विश्व हिंदू परिषद, भारत के अध्यक्ष अलोक कुमार ने भी हमलों की निंदा की। आलोक कुमार ने विशेष रूप से बंग्लादेश की अंतरिम सरकार (जिसका नेतृत्व मुहम्मद यूनुस कर रहे हैं) से कानून और व्यवस्था बहाल करने और अल्पसंख्यकों के जीवन की रक्षा करने का आह्वान किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को इन कमजोर समुदायों की सुरक्षा के लिए सभी संभव उपाय करने चाहिए।

भारतीय अमेरिकी कांग्रेसी और अमेरिकी कांग्रेस में हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख कॉकस के संस्थापक श्री थानेदार ने बाइडेन प्रशासन से स्थिति पर अधिक ध्यान देने का आग्रह किया। थानेदार ने कहा, 'बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ चल रहे हमले गंभीर रूप से चिंताजनक हैं। अमेरिका को इन समुदायों की रक्षा के लिए कदम उठाना चाहिए।'

अन्य वक्ताओं में अमेरिका के वीएचपी के अध्यक्ष डॉ. अजय शाह, एनजे डेमोक्रेट्स हिंदू कॉकस के सह-अध्यक्ष फाल्गुनी पांड्या, ओहियो स्टेट सीनेटर निरज अंटानी और प्रमुख भारतीय अमेरिकी रिपब्लिकन नेता डॉ. संपत शिवांगी शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन हिंदू छात्र परिषद की अध्यक्ष सोहिनी सरकार ने किया और यूएसएचए के महासचिव प्रवीण शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ समापन किया।

 

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