इलिनोइस यूनिवर्सिटी अर्बाना कैंपेन में प्रोफेसर लक्ष्मीकांत (संजय) काले को हाई परफॉर्मेंस डिस्ट्रिब्यूटेड कंप्यूटिंग (HPDC) का अचीवमेंट अवॉर्ड 2024 प्रदान किया गया है। प्रो. काले यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर विज्ञान के पॉल एंड और सिंथिया सैलर प्रोफेसर एमेरिटस हैं।
प्रो. काले को हाल ही में इटली के पीसा में आयोजित एसीएम इंटरनेशनल सिम्पोजिम के दौरान यह पुरस्कार प्रदान किया गया। यह सिम्पोजियम हाई परफॉर्मेंस, पैरलल एंड डिस्ट्रिब्यूटेड कंप्यूटिंग पर आधारित थी।
प्रो. काले ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे पीसा में पुरस्कार प्राप्त करने के लिए सम्मानित किया गया। काले ने इस उपलब्धि का श्रेय अपने छात्रों और सहयोगियों को देते हुए कहा कि मैं इस पुरस्कार के लिए आभारी हूं। मेरा मानना है कि इसके लिए सिर्फ मुझे नहीं बल्कि मेरे 50 से ज्यादा पीएचडी स्टूडेंट्स और अन्य छात्रों व सहकर्मियों को श्रेय जाता है।
सिम्पोजियम में अपने मुख्य भाषण में प्रो. काले ने माइग्रेटेबल ऑब्जेक्ट्स प्रोग्रामिंग मॉडल के इवॉल्यूशन का पता लगाया जो चार्म ++, एडेप्टिव एमपीआई और चार्म4पी पर चर्चा की। उन्होंने स्नातक छात्रों की प्रत्येक पीढ़ी और साथ मिलकर डिज़ाइन किए गए एप्लिकेशन कोड के योगदान पर भी प्रकाश डाला।
प्रो. काले का करियर 1991 के आसपास बेकमैन इंस्टीट्यूट में फ्लूइड डायनेमिक्स और बायोफिज़िक्स के साथ शुरू हुआ था। उनकी समानांतर प्रोग्रामिंग प्रणाली चार्म ++ को वैसे तो कॉम्बिनेटरियल सर्च एप्लिकेशन के लिए विकसित किया गया था, लेकिन इसकी मदद से वास्तविक दुनिया की जरूरतों को पूरा करने का तरीका मिल गया।
प्रो. काले को 2002 में गॉर्डन बेल पुरस्कार और 2012 में सिडनी फर्नबैक पुरस्कार मिल चुके हैं। वह एसीएम और आईईईई के फेलो हैं। उनकी रिसर्च को 42,000 से अधिक बार उद्धृत किया जा चुका है। उनके पास 69 का एच-इंडेक्स है। हालांकि 2019 में टीचिंग से रिटायर होने के बाद भी काले ने साइबेल स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एंड डेटा साइंस में रिसर्च प्रोफेसर के रूप में अपना सक्रिय योगदान जारी रखा।
एल.वी. काले ने 1977 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में बीटेक और 1979 में बैंगलोर के भारतीय विज्ञान संस्थान से कंप्यूटर साइंस में एमई की डिग्री ली है। इसके बाद उन्होंने 1985 में न्यूयॉर्क स्टेट यूनिवर्सिटी स्टोनी ब्रुक से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी पूरी की थी।
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