अमेरिका में भारत को MQ-9B सी गार्डियन ड्रोन बेचने की मंजूरी दे दी है। करीब चार अरब डॉलर के इस सौदे के लिए डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी ने आवश्यक सर्टिफिकेट प्रदान कर दिए हैं। अब जल्द ही इस पर अमेरिकी कांग्रेस की मुहर लग सकेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले साल अमेरिका यात्रा के दौरान भारत ने 3.99 अरब डॉलर की लागत से 31 सी गार्डियन ड्रोन खरीदने के प्रस्ताव रखा था। भारत और अमेरिका की सरकारों के बीच इस सौदे पर जो बाइडेन सरकार की यह मुहर एक अहम कदम माना जा रहा है।
डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी ने कहा है कि इस प्रस्तावित सौदे से अमेरिका और भारत के रणनीतिक संबंधों को मजबूत होंगे और हमारे एक प्रमुख रक्षा भागीदार की सुरक्षा मजबूत बनेगी। यह सौदा अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों का समर्थन करता है जो भारत-प्रशांत और दक्षिण एशिया क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता, शांति और आर्थिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।
एजेंसी ने कहा कि इस प्रस्तावित सौदे से समुद्री में भारत की मानव रहित निगरानी और टोही अभियानों के संचालन क्षमताओं में वृद्धि होगी तथा मौजूदा और भविष्य के खतरों से निपटने में उसकी क्षमता बढे़गी। भारत ने अपनी सेना को आधुनिक बनाने की प्रतिबद्धता दिखाई है और उसे इन ड्रोन को अपने सशस्त्र बलों में एडजस्ट करने में कोई मुश्किल नहीं होगी।
बता दें कि भारत और अमेरिका के बीच सी गार्डियन ड्रोन सौदे को लेकर पिछले छह वर्षों से बातचीत चल रही है। पिछले साल पीएम मोदी के दौरे के समय इसे अंतिम रूप दिया गया था। भारत इन ड्रोन को अपनी थलसेना, वायुसेना और नौसेना में इस्तेमाल करना चाहता है। नेवी को सबसे ज्यादा 15 और वायुसेना व थलसेना को 8-8 सी गार्डियन ड्रोन मिलेंगे।
सैटलाइट के माध्यम से रिमोट प्रणाली के जरिए संचालित होने वाले इन प्रीडेटर ड्रोन का इस्तेमाल दुनिया भर में आक्रामक अभियानों, टोही, निगरानी व खुफिया मिशन में किया जा सकता है। ये एक बार में 40 से घंटों तक उड़ सकते हैं। इनमें लेजर गाइडेड चार हेलफायर मिसाइलें लगी होती हैं। ये 450 किलो वजनी बम भी ले जा सकता है।
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