राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अमेरिका ने भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई में 2008 के आतंकवादी हमलों के एक संदिग्ध के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। इन हमलों में 160 से अधिक लोग मारे गए थे।
होटलों, एक रेलवे स्टेशन और एक यहूदी केंद्र पर तीन दिन हुए हमले 26 नवंबर, 2008 को शुरू हुए थे। भारत का कहना है कि पाकिस्तान स्थित इस्लामी समूह लश्कर-ए-तैयबा ने हमलों को अंजाम दिया। हालांकि पाकिस्तान सरकार इसमें शामिल होने से इनकार करती रही है।
ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा कि मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि मेरे प्रशासन ने 2008 के भीषण मुंबई आतंकवादी हमले के साजिशकर्ताओं और दुनिया के सबसे दुष्ट लोगों में से एक के प्रत्यर्पण को भारत में न्याय का सामना करने के लिए मंजूरी दे दी है। इसलिए वह न्याय का सामना करने के लिए भारत वापस जा रहा है।
हालांकि राष्ट्रपति ट्रम्प ने उस व्यक्ति का नाम तो नहीं लिया लेकिन मीडिया रिपोर्टों में उसकी पहचान पाकिस्तानी मूल के शिकागो व्यवसायी और कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा के रूप में की गई है। पिछले महीने के अंत में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा के प्रत्यर्पण के खिलाफ उसकी समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया था। राणा को पहले लश्कर-ए-तैयबा को सहायता प्रदान करने के लिए अमेरिकी संघीय जेल की सजा सुनाई गई थी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प से अमेरिका में सिख अलगाववादियों के बारे में भी पूछा गया, जिन्हें भारत सुरक्षा के लिए खतरा बताता है। सिख अलगाववादी भारत से अलग होकर खालिस्तान नामक एक स्वतंत्र मातृभूमि की मांग कर रहे हैं। ट्रम्प ने सवालों का सीधे तौर पर जवाब नहीं दिया लेकिन कहा कि भारत और अमेरिका ने अपराध पर मिलकर काम किया है।
वर्ष 2023 के बाद से भारत द्वारा अमेरिका तथा कनाडा में सिख अलगाववादियों को कथित तौर पर निशाना बनाना अमेरिका-भारत संबंधों में एक दरार के रूप में उभरा है। वॉशिंगटन ने एक पूर्व-भारतीय खुफिया अधिकारी पर एक असफल अमेरिकी साजिश में आरोप लगाया है। भारत का कहना है कि वह अमेरिकी आरोपों की जांच कर रहा है। यह मुद्दा बीच-बीच में उठता रहा है।
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