इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) में भारत के कार्यकारी निदेशक डॉ. के.वी. सुब्रमण्यन ने कहा कि भारत की शानदार तरक्की से निवेशकों के लिए, खासकर भारतीय प्रवासियों के लिए बहुत ही शानदार मौके हैं। अपनी किताब, 'इंडिया@100: एनविजनिंग टुमारोज इकोनॉमिक पावरहाउस' के लॉन्च पर बोलते हुए, सुब्रमण्यन ने भारत की अर्थव्यवस्था की बदलाव लाने वाली ताकत पर जोर दिया। उन्होंने निवेशकों से इसके जबरदस्त निवेश के माहौल का फायदा उठाने की अपील की।
सुब्रमण्यन ने यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक एंड पार्टनरशिप फोरम (USISPF) की तरफ से पांच दिसंबर को आयोजित कार्यक्रम में कहा, 'भारतीय प्रवासियों और अमेरिकी निवेशकों के लिए उपलब्ध अवसर असाधारण हैं। निवेशकों के पास अपने पैसे को दोगुना ही नहीं, बल्कि तिगुना करने का भी मौका है। 20 से 25 साल के समय में, भारत में मिलने वाला रिटर्न किसी भी अन्य अर्थव्यवस्था की तुलना में अद्वितीय है।'
उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रवासियों की भागीदारी सिर्फ पैसे भेजने तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि भारत के बैंकिंग और आर्थिक सिस्टम में सीधे निवेश तक भी बढ़नी चाहिए। उन्होंने कहा, 'भारतीय बैंक अकाउंट्स में पैसा जमा करने से अमेरिकी बैंकों के मुकाबले बहुत अधिक रिटर्न मिलता है। भारतीय अर्थव्यवस्था डॉलर के संदर्भ में 12 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। ऐसे में वेतन में सालाना 17-18 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। यह हर पांच साल में दोगुनी हो जाएगी। इस तरह की वृद्धि परिवर्तनकारी है।'
सुब्रमण्यन की किताब में 2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था को 55,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का खाका पेश किया गया है। उन्होंने इस दृष्टिकोण का श्रेय निरंतर आर्थिक सुधारों और 2014 के बाद स्थापित ठोस नीतिगत ढांचे को दिया।सवालों के जवाब देते हुए, सुब्रमण्यन ने अपनी महत्वाकांक्षी भविष्यवाणी को पूरा करने की भारत की क्षमता पर भरोसा जताया। उन्होंने कहा, 'भारत की विकास गाथा अनोखी और टिकाऊ है, जो इसके जनसांख्यिकीय लाभांश, तकनीकी प्रगति और सुधार-उन्मुख नीतियों पर आधारित है।'
सुब्रमण्यन ने भारतीय प्रवासियों से भारत की विकास गाथा में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया। टेक्नोलॉजी, मैन्युफैक्चरिंग और फाइनेंस जैसे क्षेत्रों में अपार अवसरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अमेरिका में 30 साल के करियर में सिर्फ सात से आठ गुना वेतन बढ़ता है, जबकि भारत में यह 100 गुना तक बढ़ सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि भारत को और अधिक प्रवासी आकर्षित करने के लिए अपनी जीवन स्तर की गुणवत्ता में सुधार करने की जरूरत है।
अपनी बात समाप्त करते हुए, सुब्रमण्यन ने भारतीय अर्थव्यवस्था की परिवर्तनकारी क्षमता को दोहराया, 'अगले 25 साल भारत के हैं, और इस यात्रा में भारतीय प्रवासियों की अहम भूमिका है।'
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