भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने अमेरिका को आकार देने में भारतीय प्रवासियों की महत्वपूर्ण भूमिका की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि भारतीय-अमेरिकी अब अमेरिका की कहानी का अनिवार्य हिस्सा बन चुके हैं।
हाल ही में नई दिल्ली स्थित अमेरिकन सेंटर में आयोजित एक पैनल चर्चा 'इंडियन डायस्पोरा - डिफाइनिंग सक्सेस इन यूनाइटेड स्टेट्स' में हिस्सा लेते हुए गार्सेटी ने संस्कृति, अर्थव्यवस्था और लीडरशिप में भारतवंशियों के योगदान को रेखांकित किया।
पैनल चर्चा में कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के सीनियर फेलो मिलन वैष्णव और लेखिका मीनाक्षी अहमद ने भी सहभागिता की। इस दौरान मीनाक्षी की हालिया किताब 'इंडियन जीनियस: द मेटिओरिक राइज ऑफ इंडियंस इन अमेरिका' पर भी चर्चा हुई।
गार्सेटी ने बताया कि किस तरह प्रवासी भारतीयों ने अमेरिकी ड्रीम को पूरा किया, उसे निखारा और आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि अमेरिका की तरक्की में भारतीय मूल के अमेरिकियों का महत्वपूर्ण योगदान है। वे भारत और अमेरिका के बीच पुल के रूप में अहम सेवाएं दे रहे हैं।
राजदूत गार्सेटी का कहना था कि पिछले चार दशकों में अमेरिका में सबसे सफल आप्रवासी समूह भारतीयों का ही है। हमारी आबादी में भारतीय मूल के लोगों की संख्या महज 1.5 प्रतिशत है, फिर भी वे हमारे आयकर में लगभग 6 प्रतिशत का योगदान देते हैं। हर चार अमेरिकियों में से एक का इलाज भारतीय डॉक्टर द्वारा किया जाता है।
उन्होंने कहा कि भारतीय अमेरिकियों ने अमेरिका में लीडरशिप को लेकर कई पुरानी धारणाओं को भी बदल दिया है। एक पुरानी कहावत था कि यदि आप भारतीय अमेरिकी हैं तो आप अमेरिका में बिजनेस में कामयाब नहीं हो सकते। लेकिन अब ये कहावत बेमानी हो गई है। अब ऐसा लगता है कि आप अमेरिका में तभी सफल हो सकते हैं जब आप भारतीय-अमेरिकी हों।
गार्सेटी ने युवा भारतीयों को अमेरिका में अवसरों का फायदा उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई है। पिछले साल 3.33 लाख से अधिक वीजा आवेदनों पर फैसला लिया गया था जो किसी भी अन्य देश से दोगुने से भी ज्यादा हैं।
मिलन वैष्णव ने अमेरिका में भारतीय प्रवासियों की तरक्की और प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 2023 की जनगणना के अनुसार अमेरिका में भारतीय मूल के लगभग 52 लाख लोग हैं जो कुल आबादी का 1.5 प्रतिशत है। इनमें से लगभग 26 लाख योग्य मतदाता हैं। आधे से अधिक लोग चार राज्य कैलिफोर्निया, टेक्सास, न्यूजर्सी और न्यूयॉर्क में हैं।
वैष्णव ने कहा कि 2010 से 2020 के बीच भारतीय समुदाय में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वह मैक्सिकन अमेरिकियों के बाद दूसरा सबसे बड़ा अप्रवासी समूह बन चुका है। उनका कहना था कि 2000 के बाद आईटी सेक्टर में आए बूम ने समुदाय को नया आकार दिया है।
भारतीय अमेरिकियों की औसत घरेलू आय 153,000 डॉलर है जो कि राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है। 76 प्रतिशत भारतीय-अमेरिकियों के पास कॉलेज की डिग्री है जबकि देश भर में यह आंकड़ा महज 36 प्रतिशत ही है। अमेरिका-भारत संबंधों खासकर टेक्नोलोजी, वेंचर कैपिटल और राजनीति में भी भारतीय मूल के लोगों का अहम योगदान है।
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