अमेरिका में ग्रीन कार्ड की अप्रूवल दर ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर पहुंच गई है। अंकल सैम के देश में स्थायी रूप से बसने का सपना देख रहे लोगों की कतार इतनी लंबी है कि बहुत से भारतीयों का अपने जीवनकाल में शायद ये ख्वाब पूरा न हो सके। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2024 में ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन करने वालों में से महज 3 प्रतिशत को ही परमानेंट स्टेटस मिलने की संभावना है।
कैटो इंस्टिट्यूट (Cato Institute) की रिपोर्ट बताती है कि 1921 में कैपिंग से पहले आवेदन करने वालों में से 98 फीसदी प्रवासियों को स्थायी नागरिकता मिल जाती थी। अब स्थिति ये है कि 2023 में महज 3.8 प्रतिशत लोगों को ही ग्रीन कार्ड स्टेटस मिल पाया। 2024 में तो इसके और भी घटकर 3 फीसदी रहने की संभावना है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ग्रीन कार्ड के लंबित आवेदनों की संख्या लगभग 3.47 करोड़ होगी। वित्त वर्ष 2024 में 11 लाख आवेदनों की कैपिंग रखी गई है। ऐसे में ग्रीन कार्ड के लिए पहले से आवेदन कर चुके लगभग 97 फीसदी लोगों को निराशा ही हाथ लगेगी।
लॉटरी के जरिए ग्रीन कार्ड हासिल करने की इच्छा रखने वालों के सामने भी कई चुनौतियां हैं। सबसे ज्यादा आवेदन इसी श्रेणी में हैं। 2024 के लिए 2.22 करोड़ आवेदन 2023 में आ चुके हैं, लेकिन सालाना लिमिट 55 हजार की ही है। 1995 के बाद से लॉटरी जीतने की संभावना भी 80 फीसदी तक घट चुकी है। ऐसे में महज 0.25 प्रतिशत आवेदनों यानी हर 400 में से महज एक व्यक्ति को ही ग्रीन कार्ड मिलने की उम्मीद है।
फैमिली स्पॉन्सर्ड इमिग्रेशन सिस्टम को कैप्ड और अनकैप्ड श्रेणियों में बांटे जाने से मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं। कैप्ड श्रेणी की सीमा 2 लाख 26 हजार तय है जिसमें ग्रीन कार्ड धारकों के पति या पत्नी, नाबालिग बच्चे, बालिग बच्चे या अमेरिका नागिरकों के भाई-बहन आते हैं। इस श्रेणी में लगभग 83 लाख आवेदन लंबित हैं।
रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड की बात करें तो इस श्रेणी में 18 लाख आवेदन लंबित हैं। साल 2024 में इनमें से महज 8 फीसदी को ही अप्रूवल मिलने की संभावना है। इस श्रेणी में लंबित आवेदनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। 2018 में 12 लाख आवेदन प्रोसेस होने के इंतजार में थे। इन परिस्थितियों में देखा जाए तो ग्रीन कार्ड की कुछ श्रेणियों के आवेदकों को मंजूरी के लिए ताजिंदगी इंतजार करना पड़ सकता है।
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