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NISAR: अमेरिका-भारत भरेंगे अंतरिक्ष में नई उड़ान, ऐसे होगा पूरी दुनिया का फायदा

NISAR की मदद से वैज्ञानिक भूकंप, भूस्खलन व ज्वालामुखी के कारण धरती में आने वाले बदलावों से लेकर ग्लेशियरों, बर्फीली सतहों और जंगलों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का गहन अध्ययन कर सकेंगे।

वैज्ञानिक पॉल रोसेन नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) में निसार प्रोजेक्ट पर शुरू से ही काम कर रहे हैं। / Image : NASA

भारत और अमेरिका द्विपक्षीय अंतरिक्ष सहयोग में नई उड़ान के लिए तैयार हैं। नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार मिशन NISAR को अगले कुछ दिनों में भारत से लॉन्च किया जाना है। ये अपनी अनोखी डुअल-बैंड रडार तकनीक से पृथ्वी की लगातार बदलती सतह के बारे में अभूतपूर्व जानकारी प्रदान करेगा।

NISAR की मदद से वैज्ञानिक भूकंप, भूस्खलन व ज्वालामुखी के कारण धरती में आने वाले बदलावों से लेकर ग्लेशियरों, बर्फीली सतहों और जंगलों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का गहन अध्ययन कर सकेंगे। इससे धरती के इकोसिस्टम, क्रायोस्फीयर और ठोस पृथ्वी का विस्तृत अद्वितीय डेटा मिलेगा जो वैश्विक कार्बन चक्र, प्राकृतिक आपदाओं आदि को आंकने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होगा। 

नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) में निसार प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिक पॉल रोसेन 2011 में अपनी भारत यात्रा को याद करते हैं, जहां पृथ्वी का निरीक्षण करने के लिए रडार मिशन पर सहयोग के लिए इसरो के वैज्ञानिकों से पहली बार चर्चा शुरू हुई थी। रोसेन बताते हैं कि हमने ड्यूल बैंड सैटलाइट का प्रस्ताव रखा था। इसी के बाद 2014 में नासा और इसरो ने निसार को वास्तविकता बनाने के लिए समझौता किया। 

यह मिशन नासा और इसरो के बीच सहयोग के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। पहली बार दोनों एजेंसियों ने पृथ्वी के अवलोकन मिशन के लिए साथ मिलकर हार्डवेयर तैयार किया है। रोसेन ने बताया कि विभिन्न महाद्वीपों में काम करने वाली टीमों ने अलग अलग स्थानों पर उपग्रह और उसके उपकरणों की जटिल एसेंबलिंग की है। 

उन्होंने बताया कि इसरो के अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लीकेशन सेंटर ने एस-बैंड रडार उपकरण प्रदान किए और बेंगलुरु में इसरो के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर ने स्पेसक्राफ्ट बस के निर्माण में योगदान दिया, वहीं नासा ने एल-बैंड रडार सिस्टम प्रदान किया है। 

NISAR की सबसे उल्लेखनीय विशेषताओं में ड्यूल बैंड रडार सिस्टम शामिल है। इससे पृथ्वी की विशेषताओं का अधिक सटीकता के साथ अध्ययन किया जा सकेगा। NISAR का डेटा न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए बल्कि व्यावहारिक अनुप्रयोगों के लिए भी महत्वपूर्ण होगा। 

इस डेटा का दुनिया भर के विभिन्न शोधकर्ता आपदाओं से लेकर पर्यावरण निगरानी जैसे अलग अलग विभिन्न उद्देश्यों के लिए एक्सेस कर सकेंगे। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि NISAR मिशन पृथ्वी की गतिविधियों को देखने का एक नया नजरिया पेश करेगा और दुनिया भर के शोधकर्ताओं के लिए एक शक्तिशाली उपकरण साबित होगा। 

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