अमेरिका में 5 नवंबर को मतदान के बाद हिंसा भड़क सकती है, खुफिया अधिकारियों ने ऐसी आशंका जताई है। इसके लिए विदेशी तत्वों को जिम्मेदार ठहराया है। ऐसे देशों के नाम भी बताए हैं।
अमेरिका के खुफिया अधिकारियों का कहना है कि रूस, चीन और ईरान अमेरिकी नागरिकों को विभाजित करने के लिए अभियान चला रहे हैं। वे चुनाव के बाद हिंसा भड़काने जैसी हरकतों को भी हवा दे रहे हैं। इसके पीछे इन तत्वों का मकसद देश में अनिश्चितता पैदा करना और चुनाव प्रक्रिया को कमजोर करना है।
राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (ओडीएनआई) कार्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि विदेशी ताकतें खासकर रूस, ईरान और चीन अमेरिकी नागरिकों को विभाजित करने और लोकतांत्रिक प्रणाली में लोगों का विश्वास कमजोर करने के लिए प्रयास कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि अमेरिका के पिछले चुनावों को देखते हुए ये देश अशांति फैलाने के लिए हर मौके का फायदा उठाने का प्रयास कर रहे हैं और इसके लिए वे पहले की तुलना में इस बार ज्यादा बेहतर तैयार हैं।
ओडीएनआई अधिकारी ने बताया कि वे तत्व चुनाव से पहले से ही साइबर तरीकों से गलत सूचनाएं फैलाने में जुटे हैं। ये चुनाव के दिन मतदान प्रक्रिया को बाधित करके असंतोष फैलाने का प्रयास कर सकते हैं। लेकिन हमारी मतदान प्रणाली इतनी सुरक्षित है कि वे परिणाम बदल नहीं पाएंगे। ऐसे में वे चुनाव के बाद शारीरिक हिंसा के लिए उकसाने का काम कर सकते हैं।
ओडीएनआई अधिकारी ने कहा कि विदेशी तत्व राष्ट्रपति और कांग्रेस की रेस को प्रभावित करने, कुछ उम्मीदवारों को बदनाम करने या अपने पसंदीदा उम्मीदवारों का समर्थन करने के लिए सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन अभियान चला रहे हैं। इसके लिए वे एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं।
अधिकारी पर कमेंट के अनुरोध पर वाशिंगटन में रूसी और चीनी दूतावासों और संयुक्त राष्ट्र में ईरान के मिशन ने तुरंत जवाब नहीं दिया। रूस, चीन और ईरान पहले ही चुनाव में हस्तक्षेप के अमेरिकी आरोपों से इनकार कर चुके हैं।
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