जैसे-जैसे तुलसी गबार्ड की नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर बनने की सीनेट सुनवाई की तारीख करीब आ रही है, वैसे-वैसे उनके खिलाफ बदनामी का अभियान भी तेज होता जा रहा है। कन्फर्मेशन से ठीक पहले, ये मुहिम चरम पर पहुंच गई है। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने उनके नॉमिनेशन के खिलाफ लिखा है।
अमेरिका की सुरक्षा प्रतिष्ठान तुलसी गबार्ड की कैबिनेट में नियुक्ति को डुबोने पर तुले हुए हैं। इनमें लेफ्ट-प्रोग्रेसिव और नवसाम्राज्यवादी युद्ध समर्थक दोनों शामिल हैं। गबार्ड पहले अमेरिका के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार और हवाई से अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की सदस्य रह चुकी हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उन्हें यूनाइटेड स्टेट्स इंटेलिजेंस कम्युनिटी (IC) का मुखिया नॉमिनेट किया है। इस IC में 18 फेडरल एजेंसियां शामिल हैं, जिनमें सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) और नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी (NSA) भी शामिल हैं। सीनेट से मंजूरी मिलने के बाद गबार्ड देश के नेशनल इंटेलिजेंस प्रोग्राम का निर्देशन और निगरानी करेंगी।
गबार्ड को नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर DNI बनाने का विरोध इस बात पर है कि वह अमेरिका की ओर से बेमतलब के युद्ध के खिलाफ हैं। अमेरिकी नागरिकों के खिलाफ अमेरिकी सुरक्षा तंत्र के गलत कामों की आलोचना करती हैं। गबार्ड हमेशा से ही जंग के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं। वो खुद अमेरिकी सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल रह चुकी हैं। 20 साल तक सेवा दी है।इस कारण जंग को अच्छी तरह समझती हैं। सीरिया जाकर अब हटा दिए गए तानाशाह बशर अल-असद से मिलने की उनकी 'तथ्य पता लगाने वाली' यात्रा की वजह से उन्हें 'असद की चाटुकार' तक कह दिया गया।
विदेश मंत्री और अमेरिका की फर्स्ट लेडी रह चुकी हिलेरी क्लिंटन ने तुलसी गबार्ड को साफ-साफ 'रशियन एसेट' कह दिया। क्लिंटन का आरोप था कि रूस 2020 के प्रेसिडेंशियल इलेक्शन में एक औरत को (गबार्ड पर इशारा जाहिर था) तीसरे पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर खड़ा करने की 'ग्रूमिंग' कर रहा है। क्लिंटन ने कहा था, 'मैं कोई भविष्यवाणी नहीं कर रही हूं, लेकिन मुझे लगता है कि उनकी नजर डेमोक्रेटिक प्राइमरी में किसी एक औरत पर है और उसे तीसरे पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर तैयार किया जा रहा है।'
तुलसी और क्लिंटन के रिश्ते तब खराब हो गए थे जब 2016 के प्रेसिडेंशियल प्राइमरिज में गबार्ड ने क्लिंटन के विरोधी, वरमोंट के अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स का समर्थन किया था। उसके बाद से हिलेरी अपने समर्थकों की मदद से तुलसी पर निशाना साध रही हैं। क्लिंटन के इल्ज़ाम के जवाब में गबार्ड ने उन्हें 'जंग के दीवाने की रानी, भ्रष्टाचार का प्रतीक, और डेमोक्रेटिक पार्टी को इतने लंबे समय से सड़ा रही सड़ांध का प्रतीक' कहा।
गबार्ड की काबिलियत और किरदार पे सवाल उठे हैं, खासकर अमेरिकी सुरक्षा तंत्र के अधिक अधिकारों के खिलाफ बोलने की वजह से। गबार्ड पहले भी Foreign Intelligence Surveillance Act (FISA) के सेक्शन 702 का विरोध कर चुकी हैं। ये सेक्शन अमेरिकी सरकार को बिना वारंट के विदेशी नागरिकों (जो अमेरिका के बाहर रहते हैं) पे नजर रखने की इजाजत देता है।
अमेरिकी एजेंसियों द्वारा जर्मनी और दूसरे यूरोपीय सहयोगियों के नेताओं पर जासूसी करने के चौंकाने वाले मामले सामने आये हैं। एक कोर्ट के फैसले से पता चला है कि Federal Bureau of Investigation (FBI) ने अपने जासूसी डाटाबेस में गैरकानूनी तरीके से अमेरिकी और राज्य के सीनेटर और जज की जानकारी ढूंढी। ये तलाशी अमेरिकी संविधान के चौथे संशोधन (जो निजता के अधिकार से जुड़ा है) का उल्लंघन है। ये सब बातें गबार्ड के DNI बनने की योग्यता पे सवाल खड़े करती हैं।
लेकिन, वामपंथी और अमेरिकी सुरक्षा तंत्र के नियंत्रित गुट गबार्ड के नामांकन का विरोध कर रहे हैं। इसकी वजह ये है कि उन्हें अपने बेरोक-टोक अधिकारों के खोने का डर है। इसी तंत्र के एक सदस्य राष्ट्रपति ओबामा के CIA डायरेक्टर जॉन ब्रेनन ने गबार्ड के किरदार और DNI के तौर पर उनकी ईमानदारी पर सवाल उठाए। ब्रेनन ने दावा किया कि तुलसी सूचना को बिगाड़ सकती हैं और सिर्फ वही सुनाएंगी जो ट्रम्प सुनना चाहते हैं।'
ब्रेनन उन 51 खुफिया समुदाय के विशेषज्ञों में से एक थे जिन्होंने 2020 के चुनाव में दखल दिया था। उन्होंने एक पत्र पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें हंटर बाइडन के लैपटॉप की खबर को रूसी सूचना अभियान की पहचान बताया गया था। इस झूठे बयान और बाकी झूठों के लिए आज तक उनसे कोई माफी नहीं मांगी गई है।
जैसे-जैसे सीनेट सुनवाई करीब आ रही है, गबार्ड के हिंदू धर्म से जुड़े होने को लेकर हमले भी तेज हो गए हैं। मीडिया ने गबार्ड के एक गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय से जुड़ाव पर निशाना साधा है। कुछ मीडिया संस्थानों ने साइंस ऑफ आइडेंटिटी के पूर्व असंतुष्ट सदस्यों के कुछ आरोपों को बिना किसी जांच-पड़ताल के उठा लिया है, जिसमें गबार्ड को बटलर (साइंस ऑफ आइडेंटिटी के प्रमुख) के पूर्ण प्रभाव में बताया गया है। कुछ हमलों में गबार्ड को 'संप्रदायवादी' ही नहीं बल्कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ी 'हिंदू राष्ट्रवादी' भी बताया गया है।
कांग्रेस के कुछ डेमोक्रेट पूर्व सहयोगियों ने उन पर हिंदू राष्ट्रवादियों और हिंदू दक्षिणपंथियों के साथ मिलने का आरोप लगाया। 'समोसा कॉकस' के प्रगतिशील सदस्यों के लिए राष्ट्रवादी होना और दक्षिणपंथियों के साथ होना स्पष्ट रूप से गलत है। जब 2019 में गबार्ड नेशनल पब्लिक रेडियो (NPR) के शो हियर एंड नाउ में आईं, तो होस्ट रॉबिन यंग ने गबार्ड से बेमतलब के सवाल पूछे। गबार्ड ने वैष्णव हिंदू धर्म को लेकर पूछे गए सवालों को गलत जानकारी फैलाने वाला बदनाम करने वाला काम बताया। इसे एक ऐसे देश में जहां धर्म की आजादी है, किसी भी सूरत में सही नहीं बताया।
हिंदू संगठनों ने गबार्ड के खिलाफ उनके हिंदू धर्म को लेकर चलाए जा रहे बदनाम करने वाले अभियानों की निंदा की है। 50 से अधिक हिंदू धार्मिक संगठनों ने साइंस ऑफ आइडेंटिटी फाउंडेशन के समर्थन में एक सार्वजनिक पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। पत्र में लिखा है, 'वैष्णव हिंदू धर्म या किसी भी हिंदू संगठन के विषय पर गंभीर रिपोर्टिंग करने के लिए संदिग्ध स्रोतों के बजाय हिंदू विद्वानों और साधकों के साथ-साथ प्रामाणिक हिंदू शास्त्रों पर भरोसा करनी चाहिए।'
हिंदू धार्मिक समुदाय के इस खुले पत्र को अपने धर्म के प्रतिनिधित्व और परिभाषा में साधकों की भूमिका को फिर से स्थापित करने के प्रयास के तौर पर देखा जाना चाहिए। ये अमेरिका के धर्मों के ताने-बाने का हिस्सा है। दूसरी तरफ, आजादी और लोकतंत्र के सिद्धांतों का पालन करने से किसी को भी अमेरिका में नौकरी पाने से नहीं रोका जाना चाहिए।
(लेखक शिकागो स्थित एक पुरस्कार विजेता स्तंभकार हैं। इस लेख में व्यक्त विचार और राय लेखक के अपने हैं और जरूरी नहीं कि ये न्यू इंडिया अब्रॉड की आधिकारिक नीति या रुख को दर्शाते हों।)
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