संयुक्त राज्य अमेरिका इस बार T20 विश्व कप में पदार्पण करने जा रहा है। यूएसए ने वेस्टइंडीज के साथ टूर्नामेंट की सह-मेजबानी के परिणामस्वरूप यह अवसर अर्जित किया है। इसी के साथ टीम यूएसए यह दिखाने के लिए दृढ़ है कि वह बड़े खिलाड़ियों के बीच असर छोड़ सकती है।
उत्तरी अमेरिका में क्रिकेट का एक अजीब इतिहास है। पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 1844 में कनाडा के खिलाफ संयुक्त राज्य अमेरिका में खेला गया था लेकिन औपनिवेशिक युग के खेल का प्रभाव फीका पड़ गया क्योंकि बेसबॉल को प्रमुखता मिलती चली गई।
संयुक्त राज्य अमेरिका 1965 से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद का एक सहयोगी सदस्य रहा है और अक्सर गैर-टेस्ट देशों के टूर्नामेंट में स्पर्धा करता है। लेकिन अमेरिकियों ने कभी भी T20 विश्व कप या एकदिवसीय संस्करण में भाग नहीं लिया। 2004 चैंपियंस ट्रॉफी में उनकी एकमात्र उपस्थिति थी जहां उन्हें ग्रुप चरण में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने हराया था।
लेकिन हाल के वर्षों में जमीनी स्तर की भागीदारी बढ़ी है। हालांकि संपन्न स्थानीय लीगों के साथ और पिछले कुछ वर्षों में माइनर लीग क्रिकेट और मेजर लीग क्रिकेट के उभरने के साथ एक मजबूत आधार विकसित करने के लिए टी20 प्रारूप का उपयोग किया गया है।
मोनांक पटेल की कप्तानी वाली संयुक्त राज्य अमेरिका टीम को ग्रुप चरण में आयरलैंड और कनाडा के साथ-साथ दिग्गज भारत और पाकिस्तान का सामना करना होगा। न्यूजीलैंड के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी कोरी एंडरसन के शामिल होने से टीम में विश्व कप का कुछ अनुभव और शीर्ष स्तरीय गुणवत्ता आई है।
एंडरसन घरेलू क्रिकेट खेलने के लिए 2020 में यूएसए चले आए। चूंकि न्यूजीलैंड के लिए उनका आखिरी गेम 2018 में था लिहाजा वह इन मामलों में लागू होने वाले 'चार साल के नियम' के कारण 2022 में स्विच करने में सक्षम थे।
उप-कप्तान आरोन जोन्स का कहना है कि अमेरिकी टीम टूर्नामेंट में अपनी छाप छोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। आरोन न्यूयॉर्क में पैदा हुए थे लेकिन बारबाडोस में खेलते हुए बड़े हुए। जोन्स को अपनी टीम से भी खासी उम्मीदें हैं।
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