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इस भारतवंशी को मिला लाखों डॉलर का अनुदान, HIV को जड़ से खत्म करने पर करेंगे काम

वेनिगल्ला राव का शोध स्टेम जीन थेरेपी की मदद से कोशिकाओं की मरम्मत पर केंद्रित है। उनका मानना है कि इससे एचआईवी और अन्य आनुवंशिक बीमारियों का इलाज संभव है।

वेनिगल्ला राव अमेरिका की कैथोलिक यूनिवर्सिटी में बायोलॉजी के प्रोफेसर हैं। / Image - Bacteriophage Medical Research Centre


अमेरिका की कैथोलिक यूनिवर्सिटी में बायोलॉजी के प्रोफेसर, वेनिगल्ला राव को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन ड्रग एब्यूज (NIDA) एवांट गार्डे अवार्ड प्रोग्राम के तहत 5 मिलियन डॉलर का अनुदान प्रदान किया गया है। यह सम्मान उन्हें एचआईवी एवं सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर रिसर्च के लिए दिया गया है।

एनआईडीए का यह अवॉर्ड एचआईवी की इलाज व रोकथाम की क्रांतिकारी तकनीक रिसर्च के लिए दिया जाता है। इसमें खासतौर से ड्रग्स का उपयोग करने वाले लोगों के उपचार पर जोर दिया जाता है। 

वेनिगल्ला राव ने जीन थेरेपी तकनीक में अग्रणी कार्य किया है। उनका शोध पिछले साल अंतरराष्ट्रीय जर्नल नेचर कम्युनिकेशंस में छपा था। इसका उद्देश्य कैंसर, एचआईवी और कोविड-19 जैसी गंभीर चिकित्सा चुनौतियों का समाधान पेश करना है।

राव का शोध स्टेम जीन थेरेपी की मदद से कोशिकाओं की मरम्मत पर केंद्रित है। उनका मानना है कि इससे एचआईवी और अन्य आनुवंशिक बीमारियों का इलाज संभव है। लोगों को इन बीमारियों के लिए आगे कोई दवा नहीं लेनी पड़ेगी और भविष्य में इन्फेक्शन से भी बचे रहेंगे। 

राव को राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान और राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन से कई शोध पुरस्कार मिल चुके हैं। उनके पास 24 अमेरिकी और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट हैं। डॉ. राव अमेरिकन एकेडमी ऑफ माइक्रोबायोलॉजी और नेशनल एकेडमी ऑफ इन्वेंटर्स के फेलो भी हैं।

वेनिगल्ला राव ने 1980 में प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस  से बायोकेमिस्ट्री में पीएचडी की है। उन्होंने मैरीलैंड मेडिकल स्कूल यूनिवर्सिटी से पोस्ट-डॉक्टरल शोध किया है। 2000 में प्रोफेसर के रूप में प्रमोट होने के बाद वह बायोलॉजी और संबंधित ग्रेजुएट कोर्सों के प्रमुख भी रहे हैं। उन्होंने दो दशकों से अधिक समय तक सेल एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के सेंटर फॉर एडवांस ट्रेनिंग के निदेशक के रूप में सेवाएं दी हैं। 

राव फैकल्टी रिसर्च अचीवमेंट अवार्ड और जेम्स यूनिस रिसर्च अवार्ड सहित कई पुरस्कार मिल चुके हैं। 2021 में उन्होंने बैक्टीरियोफेज मेडिकल रिसर्च सेंटर की स्थापना की थी। वह अमेरिकन एकेडमी ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के फेलो भी रहे हैं। 
 

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