भारत के दिग्गज कारोबारी गौतम अडानी एक बार फिर सुर्खियों में हैं और पिछले साल की तरह इस बार भी बुरी वजहों से। अमेरिकी अभियोजकों ने बुधवार को कहा कि अरबपति भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी पर करोड़ों डॉलर की रिश्वत देने और निवेशकों से भुगतान छिपाने का आरोप लगाया गया है।
कोयला, हवाई अड्डे, सीमेंट और मीडिया तक फैले व्यापारिक साम्राज्य के साथ अडानी समूह के अध्यक्ष को हाल के वर्षों में कॉर्पोरेट धोखाधड़ी के आरोपों और स्टॉक क्रैश से जोरदार झटका लगा है।
हिंदू राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी सहयोगी और गुजरात के मूल निवासी पर आरोप है कि वह आकर्षक सौर ऊर्जा आपूर्ति अनुबंधों के लिए भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से अधिक की रिश्वत देने के लिए तैयार थे।
ऐसा अनुमान लगाया गया था कि इन सौदों से लगभग 20 वर्षों में (कर चुकाने के बाद) 2 अरब डॉलर से अधिक का लाभ प्राप्त होगा। अभियोजक कार्यालय ने बताया कि अडानी सहित मामले में कई प्रतिवादियों में से कोई भी हिरासत में नहीं है।
अभियोजकों का कहना है कि अडानी के कथित सहयोगियों में से एक ने रिश्वत भुगतान को सावधानीपूर्वक ट्रैक किया और अधिकारियों को दी गई पेशकश को लॉग करने के लिए अपने फोन का उपयोग किया।
उप सहायक अटॉर्नी जनरल लीसा मिलर ने कहा कि इस अभियोग में भारत सरकार के अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से अधिक की रिश्वत देने, निवेशकों और बैंकों से झूठ बोलकर अरबों डॉलर जुटाने और न्याय में बाधा डालने की योजनाओं का आरोप लगाया गया है।
अतीत में आरोप
एफबीआई के जेम्स डेनेही ने कहा कि गौतम अडानी और सात अन्य व्यावसायिक अधिकारियों ने कथित तौर पर अपने व्यवसायों को लाभ पहुंचाने के लिए तैयार किए गए आकर्षक अनुबंधों को वित्तपोषित करने के लिए भारत सरकार को रिश्वत दी जबकि अन्य प्रतिवादियों ने कथित तौर पर सरकार की जांच में बाधा डालकर रिश्वतखोरी की साजिश को छिपाने का प्रयास किया।
कहा गया है कि अदानी लो प्रोफ़ाइल रहते हैं और मीडिया से बहुत कम बात करते हैं। अक्सर कॉर्पोरेट कार्यक्रमों में अपने नुमाइंदों को भेजते हैं। अडानी का जन्म गुजरात राज्य के अहमदाबाद में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था लेकिन उन्होंने 16 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया और शहर के आकर्षक रत्न व्यापार में काम खोजने के लिए वित्तीय राजधानी मुम्बई चले गए।
2023 में अमेरिकी निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की एक धमाकेदार रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडानी समूह 'कई दशकों से स्टॉक हेराफेरी और लेखांकन धोखाधड़ी योजना' में संलिप्त था।
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