अयोध्या में भगवान श्रीराम के नव्य भव्य दिव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह धूमधाम से संपन्न हो चुका है। पूरे भारत में अभूतपूर्व उत्साह के साथ लोगों ने इस अवसर का जश्न मनाया। हालांकि कुछ चुनिंदा विदेशी मीडिया में इसे लेकर कथित एकपक्षीय आलोचनात्मक खबरें प्रकाशित की गईं। अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों ने इसकी तीखी आलोचना की है और मीडिया संस्थानों से माफी की मांग की है।
विश्व हिंदू परिषद अमेरिका के महासचिव अमिताभ मित्तल ने जारी बयान में कहा कि अयोध्या में भगवान राम की मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का 500 वर्षों का इंतजार पूरा होने पर पूरे विश्व में खुशियां मनाई गईं। लेकिन बीबीसी, सीएनएन, एबीसी, एमएसएनबीसी, अल जजीरा जैसे कुछ मीडिया प्रतिष्ठानों ने कथित झूठे आरोपों के साथ रिपोर्ट्स प्रकाशित कीं।
उन्होंने आरोप लगाया कि इन संस्थानों ने लगातार ये बात कही कि ये मंदिर 16वीं सदी की मस्जिद की जगह पर बनाया गया है, लेकिन ये नहीं बताया कि ये मस्जिद मुगल सम्राट बाबर ने राम मंदिर को तोड़कर बनवाई थी। इस बात पर भारतीय सुप्रीम कोर्ट भी मुहर लगा चुका है।
मित्तल ने मांग की कि झूठे आधार दिखाकर पूर्वाग्रह से ग्रसित खबरें दिखाकर इन संस्थानों ने हिंदू समुदाय को ठेस पहुंचाई है। ऐसे में हम अमेरिकी सरकार से मांग करते हैं कि इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने ये भी कहा कि इन तथाकथित विद्वेषी लेखों को हटाया जाए और सार्वजनिक माफी मांगी जाए।
वीएचपी कनाडा ने भी बयान जारी करके कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा कथित पक्षपाती खबरें दिखाए जाने का आरोप लगाते हुए आलोचना की है। वीएचपी ने आरोप लगाया कि ऐसा करके इनका मकसद शांतिप्रिय हिंदू कनाडाई समुदाय को आहत करना था। इसके लिए इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
वहीं, वीएचपी ऑस्ट्रेलिया के प्रवक्ता की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि एबीसी, एसबीएस और 9न्यूज जैसे संस्थानों ने द्वेष के चलते शांतिप्रिय हिंदू समाज को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है। ऐसे में ऑस्ट्रेलियाई प्रेस काउंसिल को झूठी खबरें दिखाने के लिए इन मीडिया संस्थानों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
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