वॉशिंगटन से 8,000 मील (12,900 किमी) से अधिक दूर एक छोटे से दक्षिण भारतीय गांव के लोग यह जानने को बेताब हैं कि क्या अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ आगामी चुनाव में जो बाइडेन की जगह ले सकती हैं। लिहाजा गांववाले अमेरिका के सियासी घटनाक्रम पर नजरें जमाये हुए हैं।
वर्ष 2021 में थलासेंद्रपुरम के हरे-भरे गांव के लोगों ने हैरिस की उपलब्धि का जश्न पटाखों, मुफ्त चॉकलेट, पोस्टर और उपराष्ट्रपति की विशेषता वाले कैलेंडर के साथ मनाया था। थलासेंद्रपुरम के इसी गांव में हैरिस के नाना का जन्म एक सदी से भी अधिक समय पहले हुआ था। लेकिन अब इस गांव के लोग 'सबसे बड़ी' उपलब्धि चाहते हैं। इसीलिए वे अमेरिका की खबरों के लिए टीवी और सोशल मीडिया पर ध्यान लगाये हैं।
भारतीय मूल की मां और जमैका के पिता के साथ हैरिस पढ़ाई के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका आ गई थीं। 5 नवंबर की चुनावी दौड़ में बाइडेन की जगह लेने वाली प्रमुख दावेदार हैं हैरिस। बशर्ते कि बाइडेन इस दौड़ से खुद को अलग कर लें। हालांकि बाइडेन ने इस दौड़ से बाहर होने की बातों को यह कहकर खारिज कर दिया है कि वे 'कहीं नहीं जा रहे' हैं। वहीं, बाइडेन के सहयोगियों का मानना है कि वह अपनी सहनशक्ति और मानसिक तीक्ष्णता को लेकर उठे सवालों के बारे में मतदाताओं और दाताओं की चिंताओं को शांत कर सकते हैं।
ग्राम समिति सदस्य के. कलियापेरुमल ने कहा कि इस बार बड़ा जश्न मनाया जाएगा क्योंकि उनके (हैरिस) राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें नामांकित किया गया तो प्रतिक्रिया वैसी ही होगी जैसी कि भारतीय क्रिकेट टीम के विश्व कप जीतकर लौटने के बाद भारत में हुई थी।
हैरिस जब पांच साल की थीं तब थलासेंद्रपुरम गई थीं। उन्होंने चेन्नई के समुद्र तट पर की गई सैर को भी याद रखा है जो गांव से 320 किमी (200 मील) दूरी पर था। बाद में परिवार वहीं रहने लगा था। अलबत्ता उपराष्ट्रपति बनने के बाद से उनका थलासेंद्रपुरम जाना नहीं हुआ।
थलासेंद्रपुरम में करीब 2,000 लोग रहते हैं। वहां के एक दुकानदार जी मणिकंदन ने कहा कि यहां के निवासियों को गांव के दौरे, बयान या कम से कम गांव के उल्लेख की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जब वह उपराष्ट्रपति बनीं तो कई लोगों ने अपने घरों के बाहर उनकी तस्वीर वाले कैलेंडर टांगे। वे अब उतने प्रमुख नहीं हैं। लेकिन संभावना है कि वे अब वापसी करेंगे।
हालांकि गांव में कुछ बातों को लेकर मलाल हो सकता है कि लेकिन हैरिस के पारिवारिक देवता के लिए एक मंदिर चलाने वाले एस.वी. रामानन सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहते हैं कि उनके (हैरिस) परिवार ने 1930 के दशक में थलासेंद्रपुरम छोड़ दिया था।
रामानन एक दिलचस्प बात कहते हैं- एक अमेरिकी के रूप में हैरिस को संभवतः गांव के उत्साह के बारे में पता नहीं होगा। शायद वैसे ही जैसे रेस जीतने वाले घोड़े को पता ही नहीं होता कि लोग इतने खुख क्यों हैं... ताली क्यों बजा रहे हैं।
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