नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, इलिनॉय के भारतीय नैनोटेक्नोलॉजी विशेषज्ञ प्रोफेसर विनायक पी. द्रविड़ ने जल में विषैले तत्वों की पहचान के लिए एक अत्याधुनिक तकनीक विकसित की है। यह प्रणाली माइक्रोकैंटिलीवर तकनीक और सिंथेटिक बायोलॉजी का संयोजन है, जो लेड और कैडमियम जैसे खतरनाक धातुओं का पता लगाने में सक्षम है।
प्रोफेसर द्रविड़ के अनुसार, "माइक्रोकैंटिलीवर तकनीक पारंपरिक तरीकों की तुलना में कहीं अधिक तेज़ है और दो से तीन मिनट में सटीक परिणाम प्रदान कर सकती है। यह एक साथ कई तत्वों की पहचान करने में सक्षम है, जबकि आम सेंसर केवल एक प्रोटीन पर निर्भर होते हैं।"
प्रोफेसर द्रविड़ और उनके सहयोगी प्रोफेसर जूलियस लक के नेतृत्व में इस तकनीक को कोविड-19 वायरस की पहचान के लिए पहले ही सफलतापूर्वक उपयोग किया जा चुका है। अब इसे पर्यावरणीय निगरानी के लिए और अधिक उन्नत बनाया गया है।
यह तकनीक जल प्रदूषण की तेजी से पहचान करने के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभा सकती है।
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