वर्जीनिया के गवर्नर ग्लेन यंगकिन ने स्वास्तिक और नाजी प्रतीक हाकेनक्रूज के बीच अंतर स्पष्ट करने के उद्देश्य विधेयक में संशोधन का प्रस्ताव रखा है।
गवर्नर यंगकिन ने हाउस बिल 2783 को संशोधन के लिए फिर से जनरल असेंबली भेजा है सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा दिया जा सके और नाजी प्रतीक व स्वास्तिक के एक जैसा न देखा जाए। जनरल असेंबली गवर्नर के संशोधनों की समीक्षा करेगी जिसके बाद विधेयक को अंतिम मंजूरी दी जाएगी।
ये भी देखें - बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर 'जनसंहार' का आरोप, अमेरिका से ठोस कार्रवाई की अपील
स्वास्तिक को हिंदू, बौद्ध और जैन परंपराओं में शांति व समृद्धि का प्रतीक माना जाता है जबकि हाकेनक्रूज का इस्तेमाल एडोल्फ हिटलर और नाजी शासन द्वारा किया गया था।
विधेयक में कहा गया है कि आमतौर पर हिटलर के प्रतीक और स्वास्तिक को एक मान लिया जाता है जबकि ऐसा नहीं है। दोनों में काफी अंतर है। विधेयक में पहले हाकेनक्रूज का उल्लेख किया गया है और इसे कभी-कभी नाजी स्वास्तिक के रूप में संदर्भित किया गया है।
पिछले संशोधन में दोनों के बीच भेद को स्पष्ट नहीं किया गया था जिससे इसकी गलत व्याख्या होने की आशंका बढ़ गई थी। हिंदू, जैन और बौद्ध समुदायों की राय के आधार पर अपडेट किए गए बिल में अब हाकेनक्रूज का ज्यादा और नाजी स्वास्तिक शब्द का कम प्रयोग किया गया है।
उत्तरी अमेरिका में हिंदुओं के संगठन CoHNA और अन्य संगठनों ने बिल में इस संशोधन की मांग की थी। संशोधित विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि स्वास्तिक हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी और कुछ मूल अमेरिकी परंपराओं का धार्मिक एवं सांस्कृतिक प्रतीक है।
CoHNA ने एक बयान में कहा कि हमारे लिए स्वास्तिक का हाकेनक्रूज से विभेद करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। हम कई वर्षों से स्वास्तिक को सही पहचान दिलाने के लिए आवाज उठा रहे हैं।
CoHNA ने इस प्रस्ताव के लिए वर्जीनिया के स्टेट सीनेटर कन्नन श्रीनिवासन की सराहना की और यहूदी समुदाय के उन सहयोगियों का भी आभार जताया जिन्होंने इस प्रयास का समर्थन किया है।
Comments
Start the conversation
Become a member of New India Abroad to start commenting.
Sign Up Now
Already have an account? Login