अमेरिका भर में पढ़ने वाले इंटरनैशनल स्टूडेंट्स के लिए एक परेशान करने वाली बात सामने आई है। बड़ी संख्या में F-1 वीजा वाले छात्रों का लीगल स्टेटस बिना कोई जानकारी दिए अचानक खत्म किया जा रहा है। अमेरिकी इमीग्रेशन वकील राजीव खन्ना के मुताबिक, खबरों में है कि कम से कम 300 स्टूडेंट वीजा रद्द कर दिए गए हैं। साथ ही, 100 से अधिक छात्रों का SEVIS (Student and Exchange Visitor Information System) स्टेटस बिना किसी नोटिस के खत्म कर दिया गया है।
कई मामलों में तो पीड़ित छात्रों को इसका पता ही तब चला, जब इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) के एजेंट अचानक उनके पास पहुंचे। कुछ को तब पता चला जब यूनिवर्सिटी के अफसरों ने SEVIS में मैन्युअली चेक किया, क्योंकि ऑटोमेटेड अलर्ट ठीक से काम नहीं कर रहे थे।
कुछ मामलों में इसकी वजह कोल्ड वार के जमाने का एक ऐसा इमिग्रेशन कानून (प्रावधान) बताया जा रहा है जिसके बारे में अधिक लोग नहीं जानते। यह कानून सरकार को यह अधिकार देता है कि अगर किसी गैर-नागरिक की गतिविधियों की वजह से देश की विदेश नीति पर 'गंभीर बुरा असर पड़ने का खतरा' हो, तो उसका स्टेटस रद्द किया जा सकता है। ये नियम बहुत अस्पष्ट है और सबको चिंता में डाल रहा है। खासकर इसलिए कि जिनपर यह कार्रवाई हुई है, उनमें से कईयों पर न तो कोई जुर्म का चार्ज लगा था और अगर लगा भी था तो वो बाद में बरी हो गए थे।
तो अब सवाल उठता है कि आगे क्या? अगर आपका स्टेटस भी अचानक खत्म हो जाए, तो आपको क्या करना चाहिए? तो आइए, जानते हैं कि आपके पास क्या विकल्प मौजूद हैं, इनमें क्या रिस्क शामिल हैं और इस मुश्किल हालात से निपटने के लिए क्या करना चाहिए।
पहला ऑप्शन - वापस अपने देश जाओ और फिर से वीजा के लिए अप्लाई करें। (ये बहुत रिस्की, महंगा और अनिश्चित है)
अगर आपका SEVIS रेकॉर्ड खत्म हो गया है, तो एक तरीका ये है कि आप तुरंत अमेरिका छोड़ दें, अपनी यूनिवर्सिटी से नया I-20 मांगें, नया SEVIS फीस दें और अपने देश के कोंसुलेट से नए F-1 वीजा के लिए अप्लाई करें।
दिक्कत क्या है? : कोंसुलेट के अधिकारी अपनी मर्जी से वीजा रद्द कर सकते हैं। और अगर आपके रेकॉर्ड में वीजा रद्द होने की बात है – खासकर अगर वो विदेश नीति से जुड़ी कोई बात हो – तो ये बहुत बड़ा खतरा है। भले ही आप वापस आ भी जाएं, आपको नए स्टूडेंट की तरह ट्रीट किया जाएगा। कम से कम नौ महीने तक आपको CPT या OPT जैसे काम करने के फायदे नहीं मिलेंगे।
ये बहुत महंगा भी पड़ेगा: वीजा फीस, हवाई टिकट और हो सकता है कि आप एक सेमेस्टर या उससे भी ज्यादा पढ़ाई छूट जाए।
दूसरा ऑप्शन है - कोर्ट में केस लड़ना (ये बहुत महंगा, समय लेने वाला है और कोई गारंटी नहीं)
दूसरा रास्ता है अमेरिका में ही रहना और वीजा रद्द होने के खिलाफ केस करना। कानूनी जानकारों का कहना है कि यह अधिक प्रक्रियागत तर्क है, खासकर जब कोई नोटिस नहीं दिया गया हो या आरोप नहीं लगाए गए हों। एक अच्छी खबर ये है कि बोस्टन के एक फेडरल जज ने हाल ही में केस की समीक्षा होने तक यूनिवर्सिटी के एक स्टूडेंट की डिपोर्टेशन रोक दी थी। कानूनी जानकारों का मानना है कि ये दूसरों के लिए एक मिसाल बन सकती है।
लेकिन, कोर्ट में केस लड़ना आसान नहीं है। कानूनी खर्च 20,000 डॉलर से अधिक हो सकते हैं और जीतने की कोई गारंटी नहीं है। कोर्ट अक्सर इमिग्रेशन मामलों में सरकारी एजेंसियों का साथ देते हैं। केस लड़ते हुए भी आपको देश से बाहर निकाला जा सकता है जब तक कि कोई जज बीच में ना आ जाए।
तीसरा ऑप्शन है - H-1B या L-1 वीजा पर शिफ्ट होना (अगर मिल जाए तो)
एक और तरीका है वर्क वीजा की तरफ जाना। H-1B (खास कामों के लिए) या L-1 (बहुराष्ट्रीय कंपनियों में ट्रांसफर के लिए) वीजा अधिक सुरक्षित रास्ता हो सकता है। F-1 के उलट, H-1B में ड्यूल इंटेंट होता है, मतलब आप परमानेंट रेसिडेन्सी के लिए अप्लाई कर सकते हैं बिना अपने वीजा स्टेटस को प्रभावित किए।
दिक्कत है: H-1B हर साल सिर्फ 85,000 लोगों को ही मिलता है और इसके लिए नियोक्ता का सहयोग चाहिए। ये बहुत मुश्किल है। L-1 के लिए, आपको पहले से ही किसी विदेशी कंपनी में काम करना होगा, जो अधिकतर स्टूडेंट्स के लिए मुमकिन नहीं है। फिर भी, जिन स्टूडेंट्स के पास नियोक्ता से कनेक्शन हैं और जिनके पास मार्केटेबल स्किल्स हैं, खासकर STEM फील्ड में, उनके लिए ये एक उम्मीद की किरण हो सकती है।
अभी आपको क्या करना चाहिए?
चाहे आप कोई भी रास्ता चुनें, ये काम तुरंत कर लें:
जिन स्टूडेंट्स को कोर्ट में केस लड़ने का विचार है उनके लिए: खर्चों के बारे में जान लें और रिस्क का आकलन करें। सरकार के फैसले को चुनौती देने की बजाय प्रक्रियागत दावों (जैसे, नोटिस न मिलना) पर अधिक ध्यान दें। ये कोई छोटा काम नहीं है, इसके लिए लंबी तैयारी करनी होगी, केस कई महीनों या सालों तक चल सकता है। इससे जुड़े क्लास-एक्शन केस पर नजर रखें, जैसे हाल ही में यूनिवर्सिटी यूनियन्स ने प्रथम संशोधन को चुनौती देते हुए जो केस दायर किया है।
जिन स्टूडेंट्स H-1B/L-1 वीजा देख रहे हैं उनके लिए: अभी से संभावित नियोक्ताओं को ढूंढना शुरू कर दें – जो पहले भी विदेशी वर्कर्स को वीजा दिलवा चुके हों। अगर आपकी नौकरी जाने या वीजा समाप्त होने के बाद 60 दिन की मोहलत है (ध्यान दें: SEVIS खत्म होने पर ये मोहलत शायद नहीं मिलेगी), तो जल्दी से काम करें। कैप-एक्सेंप्ट ऑप्शन देखें जैसे रिसर्च इंस्टीट्यूशन या यूनिवर्सिटीज, जो सालभर H-1B के लिए अप्लाई कर सकते हैं।
जानकारी रखें और तैयार रहें : ये कार्रवाई एक बड़े बदलाव की शुरुआत लग रही है। स्टूडेंट्स को अपनी स्थिति पर नजर रखनी चाहिए और पहले से ही तैयारी करनी चाहिए। अपने कॉलेज से कहें कि हर वीक SEVIS चेक करें। सभी स्टेटस से जुड़े दस्तावेजों की हार्ड और सॉफ्ट कॉपी रखें। एक इमरजेंसी लीगल प्लान बना लें।
किसका केस सबसे मजबूत है?
कोर्ट में, आपकी जीत की संभावना आपके पिछले रेकॉर्ड पर निर्भर करती है। आम तौर पर, जिन स्टूडेंट्स का रिकॉर्ड साफ है, सोशल मीडिया पर कोई ऐसी बात नहीं है जिससे परेशानी हो और जिनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है (छोटे-मोटे जुर्म भी नहीं), उनका केस मजबूत होता है। जिनके पहले कोई अपराध हुए हैं या वीजा नियमों का उल्लंघन किया है, उनके लिए मुश्किल होगी।
अधिकारियों की राय
हाल ही में एक फेसबुक पोस्ट में, अमेरिकी इमिग्रेशन वकील कविता रामसामी ने लिखा, 'कल, मैं एक स्टूडेंट से मिला जिसको एयरपोर्ट पर लोन डॉक्यूमेंट में एक टाइपो की वजह से रोक दिया गया था। उसने उसे ठीक किया, सही वीजा से वापस आया और अब भी उसका SEVIS खत्म कर दिया गया है।' उन्होंने कहा, 'सबके लिए एक जैसा हल नहीं है – इसलिए किसी भरोसेमंद/योग्य इमिग्रेशन वकील या अपने DSO से ही सलाह लेना बहुत जरूरी है। हम आपको अगले वीक किसी योग्य इमिग्रेशन वकील से बात करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।'
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