ADVERTISEMENTs

वीआईटी चांसलर ने बताया कैसे ठीक होगी भारत में सरकारी स्कूलों की शिक्षा प्रणाली

भारत में शिक्षा परिदृश्य को लेकर वीआईटी चांसलर गोविंदसामी विश्वनाथन ने कहा कि समग्र बजट आवंटन में वृद्धि के साथ-साथ सार्वजनिक स्कूलों में बुनियादी ढांचे और शिक्षक उपस्थिति में सुधार के लिए सरकारी हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता हैं।

वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी) के संस्थापक और चांसलर गोविंदसामी विश्वनाथन को स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क ने डॉक्टर ऑफ लॉ की मानद उपाधि प्रदान की। / X@BUSSIEDept

वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी) के चांसलर गोविंदसामी विश्वनाथन का कहना है कि हालांकि भारत ने हाल ही में स्कूली शिक्षा क्षेत्र में बहुत सुधार किया है लेकिन सरकारी स्कूलों में अब भी बड़े सुधार की आवश्यकता है। विश्वनाथन ने 10 मई को बिंघमटन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क (एसयूएनवाई) से डॉक्टर ऑफ लॉ की मानद उपाधि प्राप्त करने के बाद यह टिप्पणी की।

विश्वविद्यालय ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय उच्च शिक्षा और उद्यमिता में उनके योगदान के लिए मान्यता दी है। विश्वनाथन के नेतृत्व में वीआईटी वैश्विक स्तर पर 88,000 से अधिक छात्रों को सेवा प्रदान करने वाला एक प्रमुख संस्थान बन गया है।

आयोजन से इतर एक बातचीत में विश्वनाथन ने कहा कि एक देश के रूप में हमने स्कूली शिक्षा में कुछ प्रगति की है। सरकारें उच्च शिक्षा की तुलना में स्कूली शिक्षा में तुलनात्मक रूप से बेहतर निवेश कर रही हैं लेकिन स्कूली शिक्षा में समस्या शिक्षा की गुणवत्ता की है। सरकारी स्कूल निजी स्कूलों से प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ हैं। इसका एक बड़ा कारण   बुनियादी ढांचे की कमी है।

इससे पहले अपने अभिनंदन समारोह में विश्वनाथन ने भारत में उच्च शिक्षा में नामांकन की कम दर को रेखांकित किया। बकौल गोविंदसामी माता-पिता के अथक प्रयास के बाद भी भारत में उच्च शिक्षा में हमारा सकल नामांकन अनुपात केवल 27% है। अमेरिका में और सभी विकसित देशों में यह 60 से 100 प्रतिशत के बीच है। वास्तव में दो देश हैं दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया जो 100 प्रतिशत का दावा करते हैं। हमें उनसे प्रतिस्पर्धा करनी होगी।

वरिष्ठ शिक्षाविद ने यह भी सिफारिश की कि भारत को बजट में शिक्षा के लिए अपना आवंटन देश की जीडीपी का कम से कम 6 प्रतिशत तक बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब तक हमने सकल घरेलू उत्पाद का 3 प्रतिशत पार नहीं किया है। आम तौर पर किसी भी अच्छे देश को सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करना चाहिए और हम 50, 60 वर्षों में ऐसा नहीं कर पाए हैं। इसलिए भारत को भी जीडीपी का 6 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करना चाहिए। 
 

Comments

ADVERTISEMENT

 

 

 

ADVERTISEMENT

 

 

E Paper

 

 

 

Video

 

Related