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क्रिस्टल कौल : अश्वेत महिलाओं को चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित करना चाहती हूं...

वर्जीनिया के 10वें जिले से कांग्रेस के लिए चुनाव मैदान में किस्मत आजमाने वाली और दूसरी पीढ़ी की भारतीय-अमेरिकी क्रिस्टल कौल ने एनआईए से अपनी भारतीय जड़ों और अपने राजनीतिक अभियान के बारे में लंबी बात की।

क्रिस्टल का कहना है कि मेरे अभियान का सबसे अहम पहलू शिक्षा है। / Image : X@Krystle Kaul

अपनी कश्मीरी विरासत के अलावा क्या आप पंजाबी सिख विरासत के बारे में भी कुछ बताएंगी?


हां, पहले तो मैं यह बात खास तौर पर बताना चाहती हूं कि मेरी पृष्ठभूमि बहु-सांस्कृतिक है। दूसरे, मुझे स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर जो समर्थन मिला है वह तारीफ के काबिल है। मैं बहु-धर्मी हूं और मुझे इस बात पर गर्व है। मैं आधी कश्मीरी पंडित हूं और पहली ऐसी कश्मीरी पंडित हूं जो कांग्रेस के लिए चुनाव मैदान में है। मैं आधी पंजाबी सिख भी हूं। मुझे इस बात पर भी गर्व हैं कि मैं देश की अकेली सिख महिला हूं जो कांग्रेस की ओर से चुनाव मैदान में है। मुझे लगता है कि कांग्रेस में पंजाबी सिखों के प्रतिनिधित्व की जरूरत है। पलते-बढ़ते हुए गुरुद्वारा जाना और सिख धर्म के सिद्धांतों पर चलते हुए ही मेरे भीतर राजनीति में आने का आधार बना। सामुदायिकता और एकता की भावना ने भी मुझे सियासत में आने के लिए प्रेरित किया। 

पहले अमेरिकी कांग्रेसी भी सिख थे। उनके बाद न कोई पंजाबी आया और न सिख। ऐसा क्यों?


इस बारे में मेरी एक थ्योरी है। वह 1950 का दौर था। दिलीप सिंह सौंध का दायरा व्यापक था और उन्होंने इसीलिए कांग्रेस सीट जीती। और जीत भी उस जिले से मिली जो अत्यधिक विविधतापूर्ण था। लिहाजा मेरा मानना है कि समुदाय आपकी सफलता का एक बड़ा आधार होता है। उदाहरण के लिए हम देखते हैं कि अगर आप अमृतसर में स्वर्ण मंदिर जाएंगे तो पाएंगे कि वहां पर सभी लोगों को समुदाय ही खाना खिलाता है। इस स्तर का सौहार्द जो कि सिख धर्म में दिखलाई पड़ता है वह सुंदर तो है ही कहीं और देखने को भी नहीं मिलता। जब आप सियासत में कांग्रेस के लिए कदम बढ़ाते हैं तो कुछ वैसे ही मूल्य पाते हैं क्योंकि यह एक जन सेवा है। तो मुझे लगता है कि श्रीमान सौंद में यही भावना थी। इसीलिए लोगों ने उनका सम्मान किया। सामुदायिकता की इसी भावना के दम पर उन्होंने उस समय हर तरह के भेदभाव को पीछे छोड़़ दिया क्योंकि वह एक मजबूत सामुदायिक नेता थे। काफी पहले मेरी नानी विमल चड्ढा मलिक लॉन्ग आयलैंड में पंजाबी सोसायटी की उपाध्यक्ष थीं। 

कांग्रेस के लिए चुनाव मैदान में उतरने के वास्ते सिखी या पंजाबी संस्कृति ने आपको किस हद तक प्रेरित किया? 


मैं सीखने-समझने के लिहाज से जो बात कर रही थी उसी क्रम में कहना चाहती हूं कि मेरी दादी ऐसी थीं कि जब वह हम सबके लिए रात का खाना बनाती थीं तो परिवार की जरूरत से ज्यादा ही बनाती थीं। वह जब हमारे लिए छोले-भटूरे बनाती थीं तो इतने बनाती थीं कि सारे पड़ोसियों और आसपास के समुदाय के लोगों में भी बांट आती थीं। अगर कोई बीमार पड़ जाता था या दैवयोग से दुनिया छोड़़ देता था तो वह उस परिवार को भोजन इत्यादि के माध्यम से सहायता-सांत्वना देती थीं। वह ऐसी थीं कि हमेशा समाज को देने में यकीन करती थीं।आप बहुत सेवा-उन्मुख हो सकते हैं और यह किसी धार्मिक केंद्र के माध्यम से ही हो सकता है। मेरे मामले में यह राजनीति में है। यह धारणा सिख संस्कृति में एकता की अवधारणा से जुड़ी है।

आपको कांग्रेस के लिए चुनाव के वास्ते किस बात ने प्रेरित किया?


जब मैं किशोरवय थी तभी से मुझे सेवा करने का गहरा जुनून रहा है। मैंने न्यूयॉर्क छोड़ दिया और अंतरराष्ट्रीय संबंधों और महिलाओं की राजनीति में स्नातक करने के लिए वाशिंगटन, डीसी चली आई। मैं 2004 में वाशिंगटन नेतृत्व कार्यक्रम प्रशिक्षु के रूप में कैपिटल हिल में काम करने लगी थी। यह उन युवा दक्षिण एशियाई अमेरिकियों के लिए एक प्रारंभिक कार्यक्रम था जो राजनीति में आना चाहते थे। रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा में मेरा करियर था और यह मेरी चाहत थी। और मैंने राजनीति में इसलिए कदम रखा क्योंकि प्रतिनिधि वेक्सटन स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण दोबारा चुनाव नहीं लड़ेंगीं। वह मेरी नायिका हैं और मुझे लगा कि यही वह क्षण है जब मुझे आगे आना होगा क्योंकि वर्जीनिया डिस्ट्रिक्ट 10 को एक नेता की जरूरत है।

भारत और अमेरिका के बीच वर्तमान संबंधों पर आपकी क्या राय है और इसका भारतीय अमेरिकी आबादी पर क्या प्रभाव पड़ता है?


मुझे लगता है कि H-1B  बैकलॉग वास्तव में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। महत्वपूर्ण तो पर्यटक वीजा से लेकर H-1B और ग्रीन कार्ड तक हैं। यह कुछ ऐसा है जो भारतीय अमेरिकियों को प्रभावित करता है क्योंकि वे अपने रिश्तेदारों को देखने-मिलने में सक्षम नहीं हैं और यह कुछ ऐसा है जो उन कई भारतीय अमेरिकियों के लिए गहरी चिंता का विषय है जिनसे मैं बात करती हूं। मुझे लगता है कि राष्ट्रपति बाइडन की भारत की आधिकारिक यात्रा इस लिहाज से अहम थी और उसके आधार पर एक रोड मैप बनाने के कई प्रयास हुए। मुझे लगता है कि निश्चित रूप से इस दिशा में बहुत सारे काम करने की जरूरत है। जहां तक भारत अमेरिका संबंधों की बात है तो हमारे संबंध अच्छे हैं और दुनिया के हिसाब से खासे अहम हैं। 

आपके अभियान के प्रमुख पहलू क्या हैं?


मेरे अभियान का सबसे अहम पहलू शिक्षा है। यह सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण है। हमारी शैक्षिक प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। हमारे शिक्षकों के लिए अधिक कौशल प्रशिक्षण और अधिक संसाधन प्रदान करना है। यहां बंदूक सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करने के संदर्भ में कि बंदूक तक पहुंच पर कड़े प्रतिबंध हों। महिलाओं का प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार भी अहम है। 

वर्जीनिया की 44% आबादी अल्पसंख्यक है। आपको क्या लगता है कि आप इन सभी समुदायों की आवश्यकताओं को कुशलतापूर्वक पूरा कर पाएंगी?


मुझे लगता है कि अल्पसंख्यकों की इसी स्थिति के चलते ही मेरी उम्मीदवारी के लिए जबरदस्त समर्थन है। मैं 9 भाषाएं बोलती हूं। इसीलिए मैं 9 भाषाओं में विज्ञापन दे रही हूं। मेरे मतदाताओं को इस बात ने खासा प्रभावित किया है। ऐसा उन्होंने पहले कभी नहीं देखा। मैं हिंदी, उर्दू, स्पेनिश, अरबी, इतालवी, दारी, पंजाबी और कश्मीरी बोलती हूं। इन भाषाओं को बोलने वाले भी प्रतिनिधित्व चाहते हैं। वर्जीनिया में उनके लिए कभी अश्वेत कांग्रेसी नहीं आया। अश्वेत महिला को लेकर भी यहां के लोगों में चाहत है क्योंकि वीए10 एक महिला-मित्र जिला है।

निर्वाचित होने पर सबसे पहले आप क्या करना चाहेंगी, बदलना चाहेंगी?


मैं उन तीन मुद्दों पर सबसे पहले काम करूंगी जिनके बारे में मैंने शुरुआत में बात की थी। पहला यह कि मैं यहां शैक्षिक प्रयासों को बढ़ाऊंगी। दूसरा यह होगा कि मैं बहुत सख्त बंदूक सुरक्षा नियंत्रण कानून बनाऊंगी। किसी के लिए भी हथियार तक पहुंच बेहद कठिन और जटिल प्रक्रिया के तहत होनी चाहिए। मैं एक बार फिर यह सुनिश्चित करना चाहती हूं कि हम अपनी महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों की रक्षा करेंगे।
 

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