एफबीआई ने मंगलवार को अमेरिकियों को आतंकी धमकियों और मतदाताओं में भय पैदा करने वाले दो नए फर्जी वीडियो के बारे में चेतावनी दी। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बीच ये फेक वीडियो दुष्प्रचार का नवीनतम मामला है। अधिकारियों को उम्मीद है कि चुनाव के दिन मतदाता बिना डरे वोटिंग करने घरों से निकलेंगे।
संघीय कानून प्रवर्तन एजेंसी से संबंधित मनगढ़ंत वीडियो में आतंकी खतरे का झूठा हवाला दिया गया है और अमेरिकियों से "मतदान से दूर रहें" का आग्रह किया गया है। जबकि दूसरे वीडियो में एक फर्जी प्रेस विज्ञप्ति शामिल है, यह एजेंसी द्वारा जारी करने का दावा किया गया है और पांच जेलों में कैदियों के बीच धांधली का दावा किया गया है।
एफबीआई ने एक बयान में कहा, दोनों "फर्जी वीडियो हैं। देश में किसी भी खतरे या आतंकी गतिविधियों को लेकर कोई सूचना नहीं दी है। इस तरह के कृत्य जनता को धोखा देने का प्रयास है, साथ ही हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करना और चुनावी प्रणाली में बाधा उत्पन्न करना है।"
संघीय, राज्य और स्थानीय अधिकारी अमेरिकियों को गलत जानकारी के प्रति आगाह कर रहे हैं और चुनाव में पूरे जोश के साथ उतरने का आग्रह कर रहे हैं। अमेरिकी समयानुसार सुबह 11 बजे (1400 जीएमटी) तक, वीडियो के कारण चुनाव में किसी भी प्रकार के व्यवधान की सूचना नहीं मिली।
साइबर सुरक्षा और बुनियादी ढांचा सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी कैट कॉनले ने मंगलवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि सीआईएसए वर्तमान में किसी भी घटना की जांच नहीं कर रहे हैं जो अमेरिकी चुनाव में सुरक्षा को प्रभावित कर रही है। कॉनले ने कहा, "जैसा कि हमने बार-बार कहा है, हम आज और आने वाले हफ्तों में इस गतिविधि को और अधिक देख सकते हैं, जिसमें स्विंग स्टेट्स को प्रभावित करने का प्रयास किया जा सकता है।"
अमेरिकी साइबर सुरक्षा एजेंसी के निदेशक जेन ईस्टरली ने कहा कि उनके विभाग ने ऐसी किसी भी गतिविधि का सबूत नहीं देखा है जो चुनाव के नतीजे पर सीधे प्रभाव डाल सकती हैं। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने पिछले हफ्ते एक झूठे वीडियो के लिए रूस को दोषी ठहराया था, जिसमें एक हाईटियन अप्रवासी को अमेरिकी स्टेट जॉर्जिया में कई बार मतदान करने का दावा करते हुए दिखाया गया था। हालांकि रूस अमेरिकी राजनीति में हस्तक्षेप से लगातार इनकार करता रहा है।
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