व्हाइट हाउस के लिए चुनाव प्रचार के दौरान ट्रम्प ने अमेरिका के शिक्षा विभाग को खत्म करने का वादा किया था। लेकिन एथनिक मीडिया सर्विस की मीटिंग में पैनलिस्ट्स ने साफ किया कि शिक्षा विभाग खत्म करने से शिक्षा खत्म नहीं होगी। पैनलिस्ट्स का कहना है कि शिक्षा के लिए 90% फंडिंग राज्यों से आता है। इसमें फेडरल सरकार की भूमिका काफी कम है। सिर्फ गरीबी से जूझ रहे शहरों और गांवों के बच्चों की अनिवार्य शिक्षा में थोड़ी ज्यादा है। खासकर दफ्तरों में बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए नागरिक अधिकारों के तहत, स्पेशल एजुकेशन की फंडिंग और निगरानी में फेडरल सरकार का महत्वपूर्ण रोल है।
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के McCourt स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के डायरेक्टर थॉमस टोच ने कहा, 'ये बच्चे रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों ही घरों से आते हैं। अगर फेडरल सरकार इस निगरानी को कम करती है, तो उसे कई तरफ से विरोध का सामना करना पड़ेगा।'
अमेरिका के शिक्षा विभाग को खत्म करने के लिए नए राष्ट्रपति को कांग्रेस की मंजूरी लेनी होगी। ये काफी मुश्किल काम होगा। टोच ने कहा, 'हालांकि हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव्स में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है। लेकिन वो ज्यादा बंटी हुई है। ट्रम्प प्रशासन के लिए ऐसा कुछ भी करना मुश्किल होगा जिसके लिए उन्हें सारे रिपब्लिकन का समर्थन न मिले।' सीनेट में बहुमत फिलीबस्टर (filibuster) को रोकने के लिए काफी नहीं है। सारे रिपब्लिकन के साथ भी उनके पास काफी वोट नहीं हैं। फिलीबस्टर का मतलब है बहस को लंबा खींचकर रोकना।
टोच ने कहा, 'ऐसे में उन्हें फिलीबस्टर के नियम बदलने होंगे। पिछली कांग्रेस में डेमोक्रेट्स ने कोशिश की थी, लेकिन नहीं कर पाए थे। उन्हें फिलीबस्टर के नियम बदलने के लिए 51% वोट नहीं मिल पाए थे।' सीनेट के नियमों के मुताबिक, फिलीबस्टर को तभी रोका जा सकता है जब 60 सीनेटर cloture नाम की प्रक्रिया से बहस खत्म करने के लिए वोट करें। 1979 के बाद से किसी भी पार्टी को 60 सदस्यों का बहुमत नहीं मिला है। रिपब्लिकन का बहुमत भी इससे बहुत कम होगा। इसे देखते हुए पैनलिस्ट्स ने सहमति जताई कि ट्रम्प प्रशासन अव्यवस्था फैलाने की कोशिश करेगा।
क्या वो सिर्फ अव्यवस्था फैलाएंगे?
टोच ने कहा, 'हम जानते हैं कि रोजाना भड़काऊ बयानबाजी होगी। इस बयानबाजी का हिस्सा राष्ट्रपति की शक्तियों को बढ़ा-चढ़ाकर बताना भी होगा। ये एक सोची-समझी रणनीति है जिससे स्थानीय स्कूल जिला अधिकारियों समेत लोगों को राष्ट्रपति और उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों द्वारा की जाने वाली आलोचनाओं का जवाब देने के लिए खुद ही कदम उठाने पर मजबूर किया जा सके। लेकिन अधिकतर मामलों में कांग्रेस की कार्रवाई के बिना इस बयानबाजी को हकीकत में नहीं बदला जा सकता।'
पैनलिस्ट और MALDEF (मैक्सिकन अमेरिकन लीगल डिफेंस एंड एजुकेशन फंड) के अध्यक्ष और महामंत्री थॉमस ए. सैंज ने कहा, 'महामारी के कारण शिक्षा में बहुत बड़ी खाई आ गई है। हमें इसी पर ध्यान देना चाहिए। हमारी शिक्षा व्यवस्था में बहुत सी जरूरतें हैं। ये दुर्भाग्यपूर्ण होगा कि अगर सारा ध्यान राजनीति पर ही केंद्रित रहे और शिक्षा के मूल तत्वों पर नहीं। गणित और बच्चों को पढ़ना सिखाने से जुड़ी हमारी बड़ी चुनौतियां हैं। बहुत से अमेरिकियों को विज्ञान और जलवायु परिवर्तन की समझ नहीं है। कई अमेरिकियों को संविधान कैसे काम करता है और सरकार को कैसे काम करना चाहिए, इसकी बुनियादी जानकारी ही नहीं है।' सैंज ने कहा कि उच्च शिक्षा में सुधार और बदलाव की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, 'हमें सरकारी स्कूलों में भी नामांकन में कमी आने की उम्मीद है। इससे कई शैक्षणिक संस्थान बंद हो जाएंगे, क्योंकि उनके पास अब छात्र नहीं होंगे।' चाहे सरकार इन बदलावों का समर्थन करे या नहीं, ये देखना बाकी है या क्या वे केवल अशांति और अराजकता फैलाएंगे? उन्होंने कहा, 'उनके पास सिस्टम कैसे काम करता है, इसकी स्पष्ट समझ नहीं है। इसलिए वे सबसे अधिक संभावना है कि बाद वाला काम करेंगे।'
उन्होंने कहा कि हमारे बहुत से छात्र शैक्षणिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं। महामारी से पहले ही हालात बहुत खराब थे। अमेरिका के शिक्षा विभाग के अनुसार, देश में 16 से 74 वर्ष की आयु के 54% वयस्क छठी कक्षा के स्तर से नीचे पढ़े हैं। काम की तेजी से बदलती प्रकृति, बदलते जनसांख्यिकी को देखते हुए हम शिक्षा को नजरअंदाज नहीं कर सकते। देश के शिक्षा समीकरण से बाहर रह गए छात्रों का ध्यान रखना होगा। सैंज ने कहा, 'मुझे डर है कि हमें स्कूल में सुधार के मोर्चे पर वास्तव में जिस नेतृत्व की आवश्यकता है, वह हमें नहीं मिल रहा है।'
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