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श्रीनगर में 11 से 13 अप्रैल तक इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (IAPSMCON 2025) का 52वां सालाना राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन (Wheels Global Foundation) का स्टॉल नई-नई खोजों (इनोवेशन) का एक खास केंद्र बनकर उभरा और सबकी नजरों में आया। इस स्टॉल ने दिखाया कि कैसे अलग-अलग क्षेत्रों के लोग मिलकर जनता की सेहत से जुड़ी समस्याओं का बढ़िया समाधान निकाल सकते हैं।
संस्था की ओर से बताया गया है कि समाज की भलाई के लिए पैन-आईआईटी कम्युनिटी ने व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन बनाया है। संस्था भारत के 'रूरबन' (‘rurban’ यानी गांवों और शहरों के बीच बसे इलाकों) लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने में जुटी है। यह संस्था अपनी रिसर्च, नई खोजों, उत्पादों और समाधानों में आईआईटी इकोसिस्टम की ताकत का इस्तेमाल करती है। मकसद ये है कि समाज की पानी, सेहत, शिक्षा, ऊर्जा, रोजी-रोटी और पर्यावरण संतुलन (सस्टेनेबिलिटी) जैसी मुश्किल समस्याओं को हल किया जा सके।
भारती विद्यापीठ मेडिकल कॉलेज में कम्युनिटी मेडिसिन की प्रोफेसर डॉ. वर्षा वैद्य ने व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन (WGF) के इस स्टॉल की पूरी सोच और योजना बनाने में अहम भूमिका निभाई। व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन के सहयोग से उनकी इस पहल ने यह दिखाया कि जब अलग-अलग सेक्टर मिलकर काम करते हैं तो उसके कितने शानदार नतीजे निकलते हैं। कम्युनिटी मेडिसिन, टेक्नोलॉजी और वेलनेस (अच्छी सेहत) के क्षेत्र में हुई नई खोजों को एक साथ लाकर, टीम ने यह दिखाया कि कैसे मिलकर लोगों की सेहत के लिए बेहतरीन काम किया जा सकता है।
इस राष्ट्रीय सम्मेलन में संस्था के स्टॉल पर कई ऐसे प्रोडक्ट्स और पहलें दिखाई गईं, जो भारत में सेहत से जुड़ी गंभीर चुनौतियों का समाधान करती हैं। यहां दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले 'सौख्यम सेनेटरी पैड्स' के जरिए माहवारी स्वच्छता और सस्टेनेबिलिटी (पर्यावरण संतुलन) को बढ़ावा दिया गया। व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन ने एक बयान में बताया कि ये पैड महिलाओं और लड़कियों के लिए एक सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल (इको-फ्रेंडली) विकल्प हैं।
स्टॉल पर टेलीमेडिसिन सॉल्यूशंस भी दिखाए गए। इनका मकसद दूर बैठे डॉक्टरों से सलाह (रिमोट कंसल्टेशन) और डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म के जरिए स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की कमी को दूर करना है, खासकर ग्रामीण और उन इलाकों में जहां सुविधाएं कम हैं। व्हील्स ग्लोबल फाउंडेशन ने आईआईटी मुंबई के बनाए 'हेल्थ स्पोकन ट्यूटोरियल्स' भी पेश किए। बेला टोनी और सकीना सिदवा ने मां और बच्चे के पोषण पर जानकारी देने वाले मॉड्यूल पेश किए। इनके जरिए स्वास्थ्य सेवा देने वालों और समुदायों को आसानी से समझ आने वाली और बढ़िया क्वालिटी की जानकारी दी गई।
इसके अलावा, संस्था ने आईआईटी खड़गपुर द्वारा बनाए गए अपने नए (इनोवेटिव) ऐसे उपकरण भी दिखाए जो बिना चीर-फाड़ (नॉन-इनवेसिव) या बहुत कम चीर-फाड़ (मिनिमली इनवेसिव) वाले हैं। इन उपकरणों का इस्तेमाल बड़ी संख्या में लोगों में एनीमिया, डायबिटीज और मुंह के कैंसर की जांच (स्क्रीनिंग) के लिए किया जाता है। इससे बीमारी का जल्दी पता लगाने और समय पर इलाज शुरू करने में मदद मिलती है।
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