भारतीय चुनाव आयोग देश में 18वीं लोकसभा के गठन के लिए आम चुनावों की तारीखों का ऐलान कर चुका है, हालांकि पंजाब के मतदाताओं को अभी तक राज्य की 13 सीटों पर तक प्रत्याशियों की घोषणा का इंतजार है।
राज्य की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी इकलौती पार्टी है, जिसने अभी 13 में से आठ उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है। पार्टी सभी 13 सीटों को जीतने का दावा कर रही है। यही वजह है कि वह बाकी पांच प्रत्याशियों के नामों के ऐलान में समय ले रही है। संभवतः उसे बाकी दलों के प्रत्याशियों की घोषणा का इंतजार है।
कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) अभी तक अपने प्रत्याशियों के नाम को लेकर विचार मंथन में जुटे हुए हैं। सभी प्रमुख दल अन्य दलों से गठबंधन की संभावनाएं भी तलाश रहे हैं। इसी की वजह से उम्मीदवारों के ऐलान में वेट एंड वॉच की भूमिका में हैं।
अभी तक एक ही अलायंस की संभावना नजर आ रही है। यह गठबंधन भारतीय जनता पार्टी और उसके पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के बीच हो सकता है। हालांकि दोनों ही दलों सामाजिक आर्थिक समीकरणों पर नजर बनाए हुए हैं और उसी के हिसाब से अगला राजनीतिक कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं।
बीजेपी और अकाली दल के बीच गठबंधन में जो प्रमुख चुनौती नजर आ रही है, वह किसान आंदोलन की है। इस चुनाव में दोनों ही दलों का बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है। बीजेपी ने इस बार 400 पार के नारे के साथ आगे बढ़ रही है, वहीं अकाली दल अपनी पुरानी हैसियत हासिल करने के लिए जोर आजमाइश में जुटी है। पिछले कुछ वर्ष दोनों ही दलों के लिए अच्छे नहीं रहे हैं।
बीजेपी और अकाली दल दोनों ही जानते हैं कि अगर उन्होंने एकजुट होकर मोर्चा नहीं संभाला तो आम आदमी पार्टी को हराना नामुमकिन हो सकता है। राज्य की प्रमुख पार्टी कांग्रेस भी इस वक्त बिखरी हुई है। कांग्रेस ने आप के साथ राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन की पहल की थी, लेकिन अरविंद केजरीवाल की पार्टी पंजाब में कांग्रेस से हाथ मिलाने से पहले ही इनकार कर चुकी है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी सबसे आखिर में अपने पत्ते खोलने की रिवायत को बरकरार रख सकती है।
चर्चाएं हैं कि आम आदमी पार्टी जल्द ही अपनी दूसरी लिस्ट जारी करके बाकी बचे प्रत्याशियों की घोषणा कर सकती है। बीजेपी की नजरें राज्य में पांच से छह सीटें जीतने पर हैं। इसके लिए वह ज्यादा से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारने के लिए मंथन में जुटी है। हालांकि मौजूदा हालात में इतनी सीटें हासिल करने लगभग असंभव सा काम नजर आ रहा है।
बीजेपी के लिए ऊहापोह की स्थिति इसलिए भी है कि वह जिताऊ फॉर्मूला पर भरोसा करे या फिर पार्टी में अपने विश्वासपात्र नेताओं को चुनावी मैदान में उतारे। पिछले कुछ समय में दूसरे दलों से पार्टी में आए कई नेता भी टिकट के लिए टकटकी लगाए बैठे हैं। माना जा रहा है कि पार्टी अगर जिताऊ फॉर्मूला पर चलती है, तो उसे अपने भरोसेमंद कैडर की अनदेखी करनी पड़ सकती है।
चर्चाओं पर भरोसा करें तो बीजेपी राजनयिक टीएस संधू को अमृतसर से मैदान में उतार सकती है। इसके अलावा परणीत कौर को पटियाला से उम्मीदवार बना सकती है। कांग्रेस से पार्टी में आए कुछ नेताओं को भी टिकट दी जा सकती है। अगर ऐसा हुआ तो उसके अपने नेताओं के लिए महज एक या दो सीटें ही बचेंगी। इनमें सांसद सोम प्रकाश और सनी देओल के नाम हो सकते हैं।
बीजेपी के लिए हालांकि सनी देओल की जगह किसी अन्य को टिकट देने में कोई परेशानी नहीं होगी। उसका उद्देश्य किसी भी तरह गुरदासपुर सीट पर कब्जा जमाने का होगा, जहां उपचुनाव में कांग्रेस ने बाजी मार ली थी। हालांकि सीटों के लिए जोर आजमाइश अभी जारी है। देखना होगा कि राज्य में राजनीति का ऊंट किस करवट बैठता है।
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