विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एमपॉक्स यानी मंकीपॉक्स वायरस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता पैदा करने वाली पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। इसके बाद भारत में भी हवाई अड्डों, बंदरगाहों और पाकिस्तान व बांग्लादेश से सटी सीमाओं पर अलर्ट घोषित कर दिया गया है।
एमपॉक्स वायरस को कोविड-19 वायरस से भी ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है। इसमें मृत्यु दर तीन से पांच प्रतिशत है, जो कोरोना से कहीं ज्यादा है। यह वायरस कई अफ्रीकी देशों में तेजी से फैल रहा है। इसी को देखते हुए डब्लूएचओ ने इसे अंतर्राष्ट्रीय चिंता के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में वर्गीकृत किया है। इससे वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर पब्लिक हेल्थ संसाधनों के जरिए बेहतर निगरानी और सुरक्षा उपाय करने में मदद मिलेगी।
मंकीपॉक्स वायरस से पूरे शरीर में फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं और त्वचा पर फफोले बनने लगते हैं। यह वायरस अक्सर संक्रमित घावों या शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थों के साथ सीधे संपर्क में आने से फैलता है। मरीज के बिस्तर या इस्तेमाल की गई अन्य दूषित सामग्री का प्रयोग करने से भी ये वायरस लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है।
आमतौर पर मंकीपॉक्स कोरोना जैसे सांस के रोगों की तरह संक्रामक नहीं है। हालांकि यह सांस की बूंदों के जरिए भी फैल सकता है। यह केवल सीमित वेंटिलेशन वाले क्षेत्रों में लंबे समय तक निकट संपर्क में रहने से फैलता है।
अफ्रीका में यह वायरस अपना रूप बदल रहा है। डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) और पड़ोसी देशों में ऐसा लग रहा है कि इस वायरस का एक अधिक घातक और विषैला वर्जन क्लेड-2 नामक जोर पकड़ रहा है। इसकी वजह से कई ऐसे अफ्रीकी देश जहां पहले इसका इन्फेक्शन नहीं दिख रहा था, वहां भी मरीज सामने आ रहे हैं।
इस वायरस के क्लेड-1 वैरिएंट का 2022 में ग्लोबल आउटब्रेक हुआ था। अब इसका नया वर्जन बच्चों को भी तेजी से शिकार बना रहा है। इसे फैलने के लिए फिजिकल कॉन्टैक्ट की ज्यादा जरूरत नहीं होती। इसमें मृत्युदर भी पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस वायरस के प्रभाव को देखते हुए भारत सरकार अलर्ट हो गई है। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पीके मिश्रा की अगुआई में उच्चस्तरीय बैठक हुई थी। इसमें मंकीपॉक्स से निपटने की तैयारियों पर चर्चा हुई। अधिकारियों का दावा है कि अभी तक भारत में मंकीपॉक्स का कोई पुष्ट मरीज नहीं मिला है। बड़े स्तर पर इस बीमारी के फैलने की आशंका भी कम है। फिर भी एहतियातन अलर्ट कर दिया गया है।
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