बल्ले बल्ले एक पंजाबी मुहावरा है। इसका अर्थ है खुशी, मौज-मस्ती या आनंद की लहर। वैसाखी सिख, पंजाबी और अन्य भारतीय समुदायों के लिए पारंपरिक रूप से फसल आने का उत्सव है। वैसाखी पर भारतीय समाज में जो खुशी और उत्साह दिखाई देता है वैसा दुनिया में कहीं और दिखलाई नहीं पड़ता। लेकिन इस बार की वैसाखी अमेरिका में खास है। इसके लिए डेलावेयर राज्य विधायकों की एक टीम का धन्यवाद जो इस वर्ष 14 अप्रैल को इस त्योहार को खास बनाने जा रही है।
त्योहार की लोकप्रिय विशेषताओं में से एक है सावधानीपूर्वक कोरियोग्राफ किया गया, रंग-बिरंगे परिधानों के साथ किया जाने वाला नृत्य जिसे भांगड़ा कहा जाता है। इस बार डेलावेयर के प्रतिनिधि बैसाखी पर भांगड़ा करने वाले हैं। अमेरिकी इतिहास में पहली बार विधायकों की एक टीम वैसाखी पर डेलावेयर में भांगड़ा करेगी। इसके लिए प्रतिनिधियों ने एक विशेषज्ञ भांगड़ा ट्यूटर के साथ घंटों बिताए। अब 14 अप्रैल को न्यू कैसल के पास डेलावेयर के सिख केंद्र में वैसाखी कार्यक्रम के दौरान यह टीम अपने नृत्य कौशल का प्रदर्शन करेगी।
इस टीम में शामिल हैं डेलावेयर के सीनेट बहुमत नेता ब्रायन टाउनसेंड, भारत से पारिवारिक संबंध रखने वाली डेलावेयर की पहली और एकमात्र विधायक सोफी फिलिप्स, सीनेट बहुमत सचेतक सीनेटर एलिजाबेथ लॉकमैन, सीनेटर पॉल बाउम्बाच, प्रतिनिधि शेरी डोर्सी वॉकर, सीनेटर स्टेफ़नी हेन्सन और सीनेटर लौरा स्टर्जन। उनके साथ कानूनी सहयोगी एमी डियाज़ भी शामिल होंगी।
विक्की के नाम से जाने जाने वाले भांगड़ा दिग्गज विश्वास सिंह सोढी के विर्देशों पर विधायकों की टीम ने कड़ी मेहनत की है। स्टेट हाउस टीम के अलावा इस दिन ट्विंकल मदन चड्ढा द्वारा प्रशिक्षित कॉलेज और बच्चों की टीमों सहित अधिक अनुभवी भांगड़ा नर्तकों द्वारा प्रदर्शन किया जाएगा। पंजाब के खेतों से लेकर अमेरिकी कॉलेजों और फिटनेस कक्षाओं तक ऊर्जावान भांगड़ा नृत्य शैली पूरे उत्तरी अमेरिका में तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
मनोरंजन के बाद लंगर होगा। लंगर सिखों और गैर-सिखों को समान रूप से खिलाया जाने वाला पारंपरिक मुफ्त शाकाहारी भोजन है। 14 अप्रैल के कार्यक्रम में भोजन दोपहर 1:30 बजे परोसा जाएगा। इसके बाद अपराह्न 3 बजे संगीत और नृत्य सहित सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
वैसाखी अप्रैल के दौरान आती है। इसे डेलावेयर में सिख जागरूकता और प्रशंसा माह के रूप में एक समवर्ती विधायी प्रस्ताव द्वारा लगातार आठवें वर्ष मान्यता दी गई है। भारत की विशाल भाषा विविधता के कारण इसे भारत के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में अन्य नामों से भी जाना जाता है।
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