15 नवंबर से शुरू होने वाले APEC और 18 और 19 नवंबर को होने वाले रियो शिखर सम्मेलन पर पूरी दुनिया की नजर है। हालांकि, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रियो सम्मेलन में शामिल होने के बारे में अभी कोई अंतिम घोषणा नहीं हुई है। वहीं, जस्टिन ट्रूडो 15 और 16 नवंबर को लीमा में आयोजित एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक कॉपोरेशन (APEC) की बैठक और 19 नवंबर को रियो डी जनेरियो में आयोजित G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे।
भारत APEC का सदस्य नहीं है। इसके संस्थापक सदस्यों में कनाडा भी शामिल है। लेकिन रियो डी जनेरियो G20 शिखर सम्मेलन दोनों नेताओं के लिए वर्तमान अवरोध को तोड़ने का एक मौका होगा। माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने के बाद कनाडा की अकड़ थोड़ी ढीली हुई है।
कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या के बाद ट्रूडो ने बिना सबूत पेश किए तमाम तरह के आरोप लगाए। भारत ने इस आरोप को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि कोई सबूत नहीं दिया गया है। कुछ दिनों बाद कूटनीतिक अधिकारियों को निष्कासित करने समेत कई कदम उठाए गए। तब से रिश्ते और भी खराब होते गए। इस वजह से नरेंद्र मोदी और ट्रूडो की पिछली दो मुलाकातें, पहली पिछले G20 शिखर सम्मेलन में नई दिल्ली में और फिर पिछले अक्टूबर में ASEAN शिखर सम्मेलन में, बहुत ही असहज और नागवार रहीं।
लीमा और रियो दोनों इवेंट्स में शामिल होने की अपनी योजना की घोषणा करते हुए जस्टिन ट्रूडो ने कहा, 'जब देश मिलकर काम करते हैं, तो हम सभी के लिए जीवन को बेहतर बना सकते हैं। मुझे APEC और G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में शामिल होने और कनाडाई लोगों के लिए अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियां सुरक्षित करने, अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने के लिए काम करने का इंतजार है कि हर पीढ़ी को सफल होने का उचित मौका मिले।'
कनाडाई प्रधानमंत्री के कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, 'APEC अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक GDP के 60% से अधिक का प्रतिनिधित्व करती हैं। APEC आर्थिक नेताओं की बैठक में, प्रधानमंत्री ट्रूडो अन्य APEC नेताओं के साथ सहयोग को गहरा करने और प्रशांत महासागर के दोनों ओर के लोगों के लिए अवसरों को आगे बढ़ाने के लिए जुड़ेंगे। कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति के आधार पर, प्रधानमंत्री व्यापार और निवेश को मजबूत करने, अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियां सुरक्षित करने के लिए कनाडाई लोगों की ओर से काम करेंगे।'
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