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सबसे प्रभावशाली क्लाइमेट लीडर्स में अजय बंगा सबसे ऊपर, ये भारतवंशी भी लिस्ट में

अजय बंगा के नेतृत्व में विश्व बैंक ने कमजोर देशों में कार्बन उत्सर्जन घटाने और उन्हें जलवायु अनुरूप बनाने पर फोकस किया है।

अजय बंगा (बीच में) संदीप निझावन (दाएं) और गौरव संत के साथ / Image- CeraWeek/ Wikipedia/ UCLA

2024 में दुनिया के सबसे प्रभावशाली क्लाइमेट लीडर्स की टाइम मैगजीन की लिस्ट में विश्व बैंक के भारतीय अमेरिकी प्रेसिडेंट अजय बंगा सबसे ऊपर हैं। 

इस लिस्ट में शामिल अन्य भारतीय अमेरिकियों में इलेक्ट्रा के सीईओ संदीप निझावन और इक्वाटिक के संस्थापक व यूसीएलए के इंस्टीट्यूट फॉर कार्बन मैनेजमेंट के निदेशक गौरव संत शामिल हैं। इन्हें इनोवेटर्स श्रेणी में मान्यता दी गई है।

अजय बंगा ने 2023 में विश्व बैंक का कार्यभार संभालने के बाद से जलवायु परिवर्तन से निपटने में योगदान बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार पर फोकस किया है। उनकी रणनीति खासतौर से उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए निजी क्षेत्र से निवेश जुटाने और जलवायु संकट से निपटने के लिए वित्तीय संसाधन बढ़ाने पर जोर देती है। 

अजय बंगा के नेतृत्व में विश्व बैंक ने कमजोर देशों में कार्बन उत्सर्जन घटाने और उन्हें जलवायु अनुरूप बनाने पर फोकस किया है और जलवायु संबंधित ऋण देने की अपनी क्षमता बढ़ाई है। बंगा ने कहा कि हमें जलवायु संकट से निपटने के लिए वित्तीय योगदान पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं को निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बनाने के लिए नए फंडिंग मॉडल, टेक्नोलोजी पर भी जोर दिया।

इलेक्ट्रा के सीईओ संदीप निझावन को लौह एवं इस्पात उद्योग में कार्बन उत्सर्जन घटाने में योगदान के लिए इनोवेटर्स श्रेणी में जगह दी गई है। उन्होंने 2020 में कोलोराडो में इलेक्ट्रा की सह-स्थापना की थी। इलेक्ट्रा ने अक्षय ऊर्जा पर आधारित इलेक्ट्रो केमिकल प्रक्रिया से लोहे के उत्पादन में कार्बन उत्सर्जन को 80 प्रतिशत तक कम कर दिया है और लागत भी आधी कर दी है। 

इक्वाटिक के संस्थापक गौरव संत को समुद्री जल से कार्बन हटाने में उनके कार्यों के लिए मान्यता दी गई है। वह ऐसी तकनीकों के विकास पर काम कर रहे हैं जो समुद्र के पानी से कार्बन डाइऑक्साइड को जमा करती है और हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करती है। उत्तरी अमेरिका में इक्वाटिक की आगामी फैसिलिटी का लक्ष्य 3,600 मीट्रिक टन हाइड्रोजन पैदा करते हुए सालाना 109,500 मीट्रिक टन कार्बन डाईऑक्साइड को कैप्चर करना है। 
 

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