शिकागो में भारतीय दूतावास और हिंदी समन्वय समिति के तत्वावधान में एक फरवरी को विश्व हिंदी दिवस को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ाने के लिए चर्चा की। शिक्षाविदों ने यह भी बताया कि कैसे हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कृत्रिम बुद्धिमता का बड़ा योगदान है।
कार्यक्रम में 150 से अधिक लोगों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले लोगों में हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार करने वाले संगठन से जुड़े लोग, छात्र, शिक्षाविद् और विचारक थे।
डॉ. मिथिलेश मिश्रा ने खास बातचीत में कहा, "शिक्षकों के लिए कृत्रिम बुद्धिमता का बड़ा स्कोप है। सभी शिक्षकों की मूल समस्या है- कैसे लिपी सिखाएं और कैसे नए शब्द सीखें और न भूलें। शब्दावली को गृहण करने में एआई का बड़ा योगदान हो सकता है।"
उन्होंने आगे कहा, "तरह-तरह के ऐप से आप छात्रों की रुचि का समावेश करने में, उनकी रुचि के अनुसार होमवर्क दे सकते हैं। भविष्य में तकनीक के नजरिए से भारतीय भाषा का भविष्य बहुत उज्जवल है।"
डॉ. सोमनाथ घोष ने कहा, "शिकागो स्थित दूतावास में हमने हिंदी दिवस का समारोह मनाया। इसमें 150 लोग पहुंचे। इसमें छात्र, हिंदी संस्थान के लोग आए, हिंदी की रुचि वाले लोग आए। हम हर साल मिलते हैं, एक बार से ज्यादा ही मिलते हैं। कई बार व्यक्तिगत मिलते हैं, कभी ऑनलाइन मिलते हैं।"
मिश्रा ने आगे कहा, "यह हमारे लिए निरंतर प्रतिष्ठा है कि हम हिंदी और अन्य भारतीय भाषा का प्रचार-प्रसार करने के लिए निरंतर प्रयास करते हैं। हम घर में अपने घरवालों से हिंदी में बात करते हैं। हम हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ाने के लिए लगातार चर्चा करते हैं और प्रयास कर रहे हैं।"
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