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शिकागो में भारत के महावाणिज्य दूतावास में विश्व हिंदी दिवस का आयोजन, भाषा के प्रसार पर चर्चा

कार्यक्रम के दौरान महावाणिज्य दूत श्री सोमनाथ घोष ने सभी का स्वागत करते हुए अभिभावकों से अपील की कि वे अपने परिवारों में हिंदी और मातृभाषाओं के प्रयोग को बढ़ावा दें ताकि आने वाली पीढ़ियों में हिंदी के प्रति आत्मीयता बनी रहे।

आयोजन के दौरान महावाणिज्य दूत श्री सोमनाथ घोष का स्वागत। / अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, इंडियाना

शिकागो में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने 1 फरवरी 2025 को विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम के दौरान हिंदी स्कूलों के छात्रों द्वारा नृत्य, रंगमंच नाटक, हिंदी कविता वाचन और हिंदी विद्वानों द्वारा भाषा तथा भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार पर विचार विमर्श किया गया। इस अवसर पर 150 से अधिक लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम में छात्र, शिक्षाविद और भारतीय प्रवासी समुदाय के सदस्य शामिल थे। 

छात्रों ने हिंदी भाषा के ज्ञान के साथ अपनी अन्य रचनात्मक प्रतिभाओं का परिचय दिया। / अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, इंडियाना

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, इंडियाना की अध्यक्षा विद्या सिंह, उपाध्यक्ष आदित्य कुमार, पूर्व अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार, युवा समिति सदस्य आरिनी पारिक और अन्विता राजपूत सहित 25 सदस्य इंडियाना शाखा से उपस्थित थे। महावाणिज्य दूत श्री सोमनाथ घोष ने सभी का स्वागत करते हुए अभिभावकों से अपील की कि वे अपने परिवारों में हिंदी और मातृभाषाओं के प्रयोग को बढ़ावा दें ताकि आने वाली पीढ़ियों में हिंदी के प्रति आत्मीयता बनी रहे।

कार्यक्रम में प्रोफेसर मिथिलेश मिश्रा (UICUC), प्रो. सैयद एख्तयाल अली (U Mich), अलका शर्मा (मंडी थिएटर), राकेश कुमार (समन्वय समिति), अवतंस कुमार (प्रसिद्ध पत्रकार और स्तंभकार) और डॉ. राकेश कुमार (अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, इंडियाना) ने हिंदी को अमेरिका में बढ़ावा देने और इसकी वैश्विक पहचान को सशक्त बनाने के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए। 

डॉ. राकेश कुमार ने 'वैश्विक युग में हिंदी भाषा: एक नई दिशा की ओर' विषय पर व्याख्यान में बताया कि भारतीय संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है और इसके प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी सरकार पर है। उन्होंने अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन, पहले संशोधन, 1923 से 1927 के बीच सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसले और कार्यकारी आदेश 13166 का जिक्र करते हुए भाषाई स्वतंत्रता की सुरक्षा के बारे में भी जानकारी दी जिससे हिंदी के विस्तार को बढ़ावा मिला। उन्होंने बताया कि अमेरिका में हिंदी को 60 से अधिक संस्थानों में एक पाठ्यक्रम के रूप में पढ़ाया जा रहा है। 

इसके साथ ही डॉ. कुमार ने डिजिटल दुनिया में हिंदी की बढ़ती भूमिका पर भी चर्चा की। जैसे गूगल, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिय मंचों पर हिंदी सामग्री की बढ़ती मांग और भारत सरकार के 'लीला' (LILA) प्रोजेक्ट के जरिए हिंदी शिक्षा में हो रहे तकनीकी बदलाव को साझा किया गया। डॉ. कुमार ने बताया कि अब हिंदी केवल साहित्य और संवाद तक सीमित नहीं रही बल्कि इंटरनेट, सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में भी अपनी मजबूत पहचान बना रही है।

कौंसल श्री संजीव पाल और महावाणिज्य दूत सोमनाथ घोष के प्रारंभिक उद्बोधन के बाद कार्यक्रम की शुरुआत एक आकर्षक कथक नृत्य प्रस्तुति से हुई जो इंडियाना स्थित प्रसिद्ध कथक स्कूल नूपुर द्वारा आयोजित किया गया था। इस प्रदर्शन में युवा नर्तकियों सुहानी अवस्थी और आर्य किचंबरे (आयु 7-14 वर्ष) ने भाग लिया। इसकी कोरियोग्राफी मौसमी मुखोपाध्याय ने की। 

नर्तकों ने पारंपरिक बंदिश 'अलबेला साजन आयो रे' पर प्रस्तुति दी, जो कथक नृत्य की कहानी कहने की कला का जीवंत और गरिमापूर्ण चित्रण था। इसके बाद कारमेल, इंडियाना के कारमेल हाई स्कूल के एक गतिशील छात्र समूह ने भी एक ज्ञानवर्धक प्रस्तुति दी जिसमें हिंदी के भाषाई महत्व और पारंपरिक कथक नृत्य की सुंदरता को उजागर किया गया। 

कुछ यादगार पल... / अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, इंडियाना

पहले खंड में कार्मेल हाई स्कूल के हिंदी क्लब के सदस्य आरिनी पारिक, अन्विता राजपूत और अन्वी जमीन्स ने भारतीय-अमेरिकी युवाओं के लिए हिंदी के सांस्कृतिक और भाषाई महत्व पर ध्यान केंद्रित किया। 

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