विश्व हिंदी दिवस केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि हिंदी भाषा की समृद्ध विरासत, वैश्विक पहचान और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है। भारत सरकार द्वारा 2006 में शुरू किया गया यह दिवस न केवल हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके महत्व को भी रेखांकित करता है। पीआर राजदूत पी. हरीश के अनुसार, यह दिवस उस ऐतिहासिक क्षण की भी याद दिलाता है जब 1949 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी बोली गई थी। इस वर्ष, 2025 का विश्व हिंदी दिवस "एकता और सांस्कृतिक गौरव की वैश्विक आवाज़" थीम के तहत मनाया जा रहा है, जो हिंदी के अंतरराष्ट्रीय संचार में बढ़ते योगदान और इसकी वैश्विक पहचान को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
विश्व हिंदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान पीआर राजदूत पी हरीश ने कहा, भारत सरकार ने भारत और विदेशों में हिंदी के महत्व का उत्सव मनाने, इसके सांस्कृतिक महत्व को उजागर करने और अंतरराष्ट्रीय संचार के साधन के रूप में इसके उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 2006 में विश्व हिंदी दिवस की शुरुआत की थी। इसके अलावा, विश्व हिंदी दिवस उस दिन की भी याद दिलाता है जब 1949 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में पहली बार हिंदी बोली गई थी; और इसका उद्देश्य भाषा के बारे में जागरूकता बढ़ाना, इसके उपयोग को बढ़ावा देना और वैश्विक स्तर पर इस भाषा के विद्वानों और लेखकों के योगदान को मान्यता प्रदान करना है।
उन्होंने आगे कहा, इस वर्ष, विश्व हिंदी दिवस 2025 को "एकता और सांस्कृतिक गौरव की वैश्विक आवाज़ " थीम के तहत मनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य हिंदी भाषा के उपयोग द्वारा भाषाई और वैश्विक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना है। यह हिंदी के उपयोग और प्रचार-प्रसार से जुड़ी चुनौतियों पर प्रकाश डालता है, और इसका लक्ष्य दुनिया भर में भाषा की बेहतर समझ को बढ़ावा देना है।
भारत में 450 मिलियन की भाषा हिंदी
पी हरीश ने अपने संबोधन में कहा, आप जानते ही होंगे कि भारत में हिंदी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है, जिसे लगभग 450 मिलियन लोग अपनी मूल भाषा के रूप में प्रयोग करते हैं। व्यापक स्तर पर, दुनिया भर में 600 मिलियन से ज़्यादा लोग हिंदी बोलते हैं- जो इसे अंग्रेज़ी और मंदारिन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा भाषाई समूह बनाता है। इस प्रकार हिंदी भारत के जीवंत सांस्कृतिक परिदृश्य का पर्याय बन गई है, और हमारे प्रवासी समुदाय तथा बॉलीवुड और उच्च कोटि के साहित्य की लोकप्रियता के बल पर भौगोलिक सीमाओं को पार करके यह दुनिया भर में एक लोकप्रिय भाषा के रूप में उभरी है।
बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक धरती
हरीश ने कहा, भारत जैसे बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक और बहुजातीय राष्ट्र में, भाषा अपने लोगों की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाती है। जबकि भारत के प्रत्येक राज्य की अपनी राजभाषाएँ हैं, संघीय स्तर पर, हिंदी और अंग्रेजी को संघ की राजभाषाओं के रूप में स्वीकार किया गया है। हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में अपनाए जाने के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में, नवंबर 2024 में हमने पहली बार संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक कार्यक्रम आयोजित किया।
संयुक्त राष्ट्र को 6.8 मिलियन डॉलर का अंशदान
उन्होंने कहा, 'मैं यह बताना चाहूंगा कि भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र को 6.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर का स्वैच्छिक अंशदान दिया है, जो यह सुनिश्चित करता है कि संयुक्त राष्ट्र समाचार हिंदी में बिना किसी व्यवधान के प्रसारित होता रहे। मेरा यह प्रयास है कि वैश्विक संचार विभाग के साथ हुए समझौता ज्ञापन को पाँच वर्षों की अवधि के लिए नवीनीकृत कराया जाए, जो अप्रैल 2025 से आरंभ होगा। हम अवर महासचिव और वैश्विक संचार विभाग को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने वैश्विक स्तर पर हिंदी को लोकप्रिय बनाने के लिए अनेक प्रयास किए हैं। पुर्तगाली, किस्वाहिली, बंगाली, उर्दू और फ़ारसी के साथ हिंदी को भी एक अतिरिक्त गैर-आधिकारिक भाषा के रूप में जोड़ा गया है। यह सितंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए बहुभाषावाद संबंधी संकल्प में परिलक्षित हुआ है।'
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