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जाकिर हुसैनः एक दिग्गज फनकार, जिसे अमेरिका ने दी असाधारण पहचान

जाकिर हुसैन 1970 के दशक में मुंबई से मारिन काउंटी आकर बस गए और यहां के संगीतकारों के साथ मिलकर काम करने लगे थे। वह अक्सर एसएफजेज़ में शो किया करते थे।

73 वर्षीय जाकिर हुसैन के निधन पर सिलिकॉन वैली ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। / Courtesy Photo

भारत के विश्व प्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन के निधन की खबर ने भारत ही नहीं, अमेरिका समेत दुनिया भर में उनके प्रशंसकों का दिल तोड़ दिया है। सैन फ्रांसिस्को के सिलिकॉन वैली में वॉट्सऐप ग्रुपों में जब उनके निधन की खबर फैली तो पहले तो लोगों को यकीन ही नहीं हुआ। लेकिन कुछ ही समय बाद पता चला कि संगीत और कला की दुनिया का एक सितारा हमेशा के लिए खामोश हो गया है। 

हुसैन जब बे एरिया में आए
एक समय की बात है। तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा खान कुरैशी का फिल्मोर ईस्ट में रविशंकर के साथ एक संगीत कार्यक्रम था। वे नहीं पहुंचे लेकिन उन्होंने अपने 19 साल के बेटे जाकिर को भेज दिया। इस प्रोग्राम ने जाकिर की जिंदगी हमेशा के लिए बदलकर रख दी। 

मई 1970 में सैन फ्रांसिस्को के ग्रेट हाईवे एरिया में जाकिर ने सरोद के सरताज अली अकबर खान और सितार वादक इंद्रनील भट्टाचार्य के साथ ताल मिलाई। यह एक शानदार प्रस्तुति थी। 

ग्रेटफुल डेड साउंड इंजीनियर ओस्ले स्टेनली ने कॉन्सर्ट को रिकॉर्ड किया था। इसे बेयर्स सोनिक जर्नल्स में प्रकाशित किया गया। यह 1960 से 1980 के दशक तक लाइव कॉन्सर्ट रिकॉर्डिंग का उनका कलेक्शन था। 1975 में ड्रमर मिकी हार्ट और जाकिर हुसैन ने डिगा रिदम बैंड बनाया। 

बीटल्स ने जब संगीत की दुनिया में अपने जलवे दिखाने शुरू किए थे तब जॉर्ज हैरिसन को जाकिर हुसैन के तबले की थाप में एक अद्भुत ताल नजर आई। उसी समय जाकिर ने फैसला कर लिया था कि वह तबले से ही संगीत की हर भाषा को सुर देंगे। 

पश्चिम में भारतीय संगीत की संगत
लॉस एंजिल्स स्थित ग्रैमी म्यूजियम के सहयोगी संस्थान बेंगलुरु के भारतीय संगीत अनुभव संग्रहालय ने उस दौर के संगीत का वर्णन किया। जाकिर हुसैन पश्चिम में भारतीय संगीत के सबसे प्रसिद्ध कलाकारों में से एक थे। वह समकालीन वैश्विक संगीत आंदोलन की सबसे महत्वपूर्ण शख्सियतों में थे। तबला वादक अल्ला रक्खा के बेटे और शिष्य जाकिर ने तबले की थाप से दुनिया को चकित करने से पहले अमेरिका से ही संगीत में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की थी। 

जाकिर हुसैन ने जॉन मैकलॉघलिन और एल शंकर के साथ मिलकर बैंड शक्ति का गठन किया था। साइकेडेलिक रॉक ग्रुप ग्रेटफुल डेड के ड्रमर मिकी हार्ट के साथ प्लैनेट ड्रम एल्बम निकाली। बिल लासवेल के साथ मिलकर उन्होंने तबला बीट साइंस ए म्यूजिक की स्थापना की। 

जाकिर ने एल्बम द मेलोडी ऑफ रिदम के लिए बैंजो वादक बेला फ्लेक और बासिस्ट एडगर मेयर के साथ मिलकर ताल मिलाई। 2009 में जाकिर हुसैन को मिकी हार्ट, जियोवानी हिडाल्गो और सिकिरू एडेपोजू के साथ एल्बम ग्लोबल ड्रम के लिए ग्रैमी से सम्मानित किया गया। 

सिलिकॉन वैली ने कहा- अलविदा 
जाकिर हुसैन 1970 के दशक में मुंबई से मारिन काउंटी आकर बस गए और यहां के संगीतकारों के साथ मिलकर काम करने लगे थे। वह अक्सर एसएफजेज़ में शो किया करते थे। 2017 में उन्हें संस्था की तरफ से लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।

हुसैन परिवार के प्रवक्ता जॉन ब्लेचर ने बताया कि 73 साल की उम्र में जाकिर हुसैन ने यूसीएसएफ में दोपहर 3:42 बजे अंतिम सांस ली। उनके परिवार में उनकी पत्नी एंटोनिया मिनेकोला और बेटी अनीसा कुरैशी व इसाबेला कुरैशी हैं। पोती ज़ारा फिलिप्स, भाई तौफीक कुरैशी और फजल कुरैशी के अलावा बहन खुर्शीद औलिया भी हैं।

परिवार ने एक बयान में कहा कि वह दुनिया भर के अनगिनत संगीत प्रेमियों द्वारा संजोई गई एक असाधारण विरासत को पीछे छोड़ गए हैं। उनका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक गूंजता रहेगा।

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